प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए ऑनलाइन इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की सुविधा शुरू कर दी है। जिन टैक्सपेयर्स को अपने खातों का ऑडिट कराने की जरूरत नहीं है, उन्हें वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपना आईटीआर तय तारीख से पहले दाखिल करना होगा। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने टैक्सपेयर्स के लिए इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने की समय सीमा भी 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी है।
आयकर विभाग ने अलग-अलग टैक्सपेयर्स के लिए सभी आईटीआर फॉर्म पहले ही जारी कर दिए हैं। ITR-1 उन सैलरिड टैक्सपेयर्स के लिए है जिनकी आय एक वित्त वर्ष में 50 लाख रुपये से कम है। दूसरी ओर, ITR-4 इंडिविजुअल, HUF और फर्मों के लिए है जिनके बिजनेस की कमाई एक वित्त वर्ष में 50 लाख रुपये तक होती हो।
इतने सारे कई फॉर्म और डॉक्यूमेंट्स को संभालने के साथ ITR फाइल करना थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है। खासकर उन लोगों के लिए जो बिना किसी एक्सपर्ट की मदद के आईटीआर दाखिल करते हैं। ऐसे में कभी-कभी छोटी गलतियों से पेनल्टी के साथ कानूनी कार्यवाही तक का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए अपनी इनकम के अनुसार ही फॉर्म का चुनाव करना चाहिए। एक साथ ही नीचे दी गई इन गलतियों से भी बचना चाहिए।
कई बार टैक्सपेयर्स गलत ITR फॉर्म चुनने की एक आम गलती करते हैं। इसलिए अपने इनकम का ध्यान रखते हुए आईटीआर फॉर्म का सही चुनाव करें। गलत फॉर्म का चुनाव करने से आपकी ITR फाइलिंग वैलिड नहीं होगी और इससे जुर्माना भी लग सकता है। हालांकि, अगर आपने ड्यू डेट से पहले रिटर्न दाखिल की है तो आप रिवाइज्ड रिटर्न का ऑप्शन चुन सकते हैं।
इनकम टैक्स रिटर्न करते समय की लोग अपनी AIS और फॉर्म 26AS के स्टेटमेंट को वेरिफाई नहीं करते हैं, जिससे आईटीआर कैंसल हो सकता है। इसलिए सटीक इनकम रिपोर्टिंग के लिए जमा करने से पहले स्टेटमेंट को वेरिफाई जरूर करें।
अपने इनकम के बारे में अधूरी जानकारी देना बड़ी परेशानियों का कारण बन सकती है। यहां तक की जुर्माना बन रहे टैक्स का 200% तक हो सकता है। इसके अलावा इस पर ब्याज भी लिया जा सकता है। कुछ मामलों में कानूनी कार्यवाही भी हो सकती है।
भले ही एक्जेमट इनकम पर टैक्स नहीं लगता है, लेकिन आपको इसे अपने ITR में सही सेक्शन (शेड्यूल EI) के तहत रिपोर्ट करना चाहिए। इससे आपको किसी भी तरह की गलत सूचना से बचने में मदद मिलती है और टैक्स नियमों का पालन अच्छे से होता है।
फाइनेंशियल ईयर के बीच में नौकरी बदलने वाले टैक्सपेयर्स को पिछले एम्लॉयर से मिली हुई सभी इनकम या सैलरी की रिपोर्ट करनी चाहिए। नौकरी छोड़ते समय, अपने ITR को सही तरीके से दाखिल करने के लिए फॉर्म 16 जैसे जरूरी डॉक्यूमेंट्स इकठ्ठे कर लेने चाहिए।
HRA छूट के लिए झूठे दावे करने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट भारी जुर्माना लगा सकता है। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अनुसार, जुर्माना गलत तरीके से बताए गए अमाउंट का 200% तक हो सकता है। साथ ही HRA पर छूट लेने के लिए सभी किराए के बिल मौजूद होने जरूरी हैं।
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पर्सनल इनकम टैक्सपेयर्स हर फाइनेंशियल ईयर में पुरानी और नई टैक्स रिजीम के बीच स्विच कर सकते हैं। FY 2024-25 के लिए नई टैक्स रिजीम डिफॉल्ट सरकार ने सेट की हुई है। नई टैक्स रिजीम में जहां डिडक्शन की कोई कमी नहीं है, वहीं पुरानी रिजीम में कई टैक्स सेविंग स्कीम हैं। पुरानी टैक्स रिजीम की तुलना में नई टैक्स रिजीन में टैक्स की दरें कम हैं। इसलिए अपनी जरूरत के हिसाब से ही नई या पुरानी टैक्स रिजीम का सलेक्शन करना चाहिए।