प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: लंबे समय से जारी अटकलों और कयासों के बाद आखिरकार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के कई देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही भारत से 26 फीसदी टैरिफ वसूलने की घोषणा की है और इसका असर देश के व्यापार और शेयर बाजार दोनों पर देखने को मिलेगा। अमेरिका का कहना है कि भारत, यूएस पर 52 प्रतिशत टैरिफ लगाता है इसलिए हम भी जवाबी शुल्क वसूलेंगे।
26 फीसदी अमेरिकी टैरिफ से भारत की कई कंपनियों और सेक्टर्स को व्यापार में नुकसान उठाना पड़ सकता है। इनमें कृषि, केमिकल, फार्मा, मेडिकल डिवाइस बनाने वाली कंपनियां और ऑटो इंडस्ट्री शामिल है। आइये आपको बताते हैं इन सेक्टर्स और कंपनियों पर ट्रंप के टैरिफ का क्या असर होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन सेक्टर्स में उच्च शुल्क अंतर के कारण अमेरिकी प्रशासन से अतिरिक्त सीमा शुल्क का सामना करना पड़ सकता है। उच्च शुल्क अंतर किसी उत्पाद पर अमेरिका और भारत द्वारा लगाए गए आयात शुल्कों के बीच का अंतर है। व्यापक क्षेत्र स्तर पर, भारत और अमेरिका के बीच संभावित शुल्क अंतर विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग है।
हालांकि, हाल ही में एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप के टैरिफ का भारत पर असर सीमित रहने की संभावना है। ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सेक्स, नोमुरा, मॉर्गन स्टेनली और फिच ने भी यही भावना जताई है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि 18.149 करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य के दुग्ध उत्पादों के निर्यात पर 38.23 प्रतिशत के अंतर का गंभीर असर पड़ सकता है, जिससे घी, मक्खन और दूध पाउडर महंगे हो जाएंगे और अमेरिका में उनकी बाजार हिस्सेदारी कम हो जाएगी। खासकर, देश की ऑटो इंडस्ट्री पर ट्रंप के टैरिफ का ज्यादा असर होगा, क्योंकि उनका काफी बिजनेस नॉर्थ अमेरिका से आता है।
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इसके अलावा, औद्योगिक वस्तुओं के क्षेत्र में अमेरिकी टैरिफ से औषधि, आभूषण और इलेक्ट्रॉनिक सहित कई क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं. जिससे आभूषणों की कीमतें बढ़ेंगी व प्रतिस्पर्धा कम होगी।अमेरिका का जवाबी टैरिफ रेट्स का मकसद करेंसी हेरफेर, कमजोर पर्यावरण और श्रम मानकों और विदेशी बाजारों में अमेरिकी निर्यात को सीमित करने वाले प्रतिबंधात्मक नियमों जैसी नीतियों का मुकाबला करना है।