जीएसटी में बदलाव से किसानों को बड़ी राहत, (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Farmers Benefit from GST Rate Cut: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता और ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की मौजूदगी में बुधवार, 3 सितंबर को 56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक हुई। इस दौरान इनडायरेक्ट टैक्स से संबंधित कई अहम फैसले लिए गए। इस बैठक का सबसे चर्चित मुद्दा जीएसटी स्लैब में बदलाव रहा। अब मौजूदा चार जीएसटी स्लैब 5, 12,18 और 28 प्रतिशत को हटाकर सिर्फ दो स्लैब 5% और 18% प्रतिशत कर दिया गया है। करीब 8 साल बाद जीएसटी में हुए इन बड़े बदलावों से आम जनता और किसानों को बड़ी राहत मिली है।
सरकार की ओर से लिया गया यह फैसला देश के किसानों और कृषि उद्योग से जुड़े उत्पादों को राहत देने वाला है। जीएसटी दर की कटौती से कृषि सेक्टर में लागत घटेगी और किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।
जीएसटी परिषद की बैठक में ली गई कई महत्वपूर्ण फैसले में किसानों का विशेष ध्यान रखा गया है। सरकार ने ट्रैक्टर के टायर और पार्टस पर 18 प्रतिशत की जीएसटी को कम कर 5 प्रतिशत कर दिया है। ठीक वैसे ही अब तक ट्रैक्टर पर लगने वाले 12 % जीएसटी रेट को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके साथ ही बायो-पेस्टीसाइड, माइक्रो न्यूट्रिएंट्स, ड्रिप इरीगेशन सिस्टम और स्प्रिंकलर्स पर पहले 12 प्रतिशत लगने वाले टैक्स को केवल 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
किसी भी फसल को लगाने से पहले मिट्टी की तैयारी, खेती, कटाई और थ्रेशिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली कृषि, बागवानी और फॉरेस्ट्री मशीनरी पर भी GST दर में 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का फैसला लिया गया है। इसके साथ ही थ्री व्हीलर्स जैसे की ऑटो और सामान ढ़ोने में उपयोग होने वाले वाहनों पर मौजूदा 28 प्रतिशत की जीएसटी को कम कर के 18 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे भी किसानों को काफी राहत मिलेगी। गौरतलब है कि किसान अपने फसल को खेतों से स्टोर रूम या बाजार तक ले जाने के लिए इन वाहनों का इस्तेमाल करते हैं।
ये भी पढ़ें: GST काउंसिल में बड़ा फैसला, टैक्स फ्री हुईं ये चीजें; देश को दिवाली का ऐतिहासिक तोहफा
विशेषज्ञों का मानना है कि GST स्लैब में होने वाले इस बड़े बदलाव से देश के ग्रामीण और कृषि सेक्टर को आर्थिक मोर्चे पर मजबूत सपोर्ट मिलेगा। इससे भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था काफी मजबूती से आगे बढ़ेगी। सरकार के इस फैसले का मकसद कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने और किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने है। किसानों के लिए यह फैसला उत्पाद बढ़ाने और उनकी लाइफस्टाईल सुधारने कि लिए काफी अहम है।