धीरुभाई अंबानी, (कॉन्सेप्ट फोटो)
नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की नींव रखने वाले धीरजलाल हिराचंद अंबानी उर्फ धीरूभाई अंबानी की आज 23वीं पुण्यतिथि है। 69 वर्ष की आयु में उन्होंने 6 जुलाई, 2002 को मुंबई में आखिरी सांस ली थी। 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के साधारण परिवार में जन्मे धीरुभाई अंबानी ने कारोबार की दुनिया में कदम रखकर एक नई इबारत लिख दी। उनके निधन के बाद अब उनके द्वारा खड़ी की गई कारोबारी सम्राज्य को उनके बेटे मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी संभाल रहे हैं।
धीरुभाई अंबानी कम उम्र में ही घर की जिम्मेदारी उठानी शुरू कर दी थी। इस वजह से वह केवल 10वीं तक ही पढ़ सके। घर का आर्थिक हालात ऐसा नहीं था की वह आगे की पढ़ाई कर सके। इसके बाद वह फल और पकौड़े बेचने शुरू कर दिए। हालांकि, उन्हें यहां कोई बड़ी सफलता नहीं मिली तो 1948 में वह अपने बड़े भाई की मदद से यमन चले गए। जहां उन्होंने 300 रुपये की सैलरी में एक पेट्रोल पंप पर नौकरी की।
धीरूभाई यमन में जिस पेट्रोल पंप पर नौकरी करते थे, वह कंपनी उनके काम से काफी प्रभावित हुई थी। कंपनी ने उनका प्रमोशन करते हुए उन्हें मैनेजर की जिम्मेदारी सौंप दी। हालांकि, वह नौकरी से कुछ ज्यादा खुश नहीं। उनके मन में कारोबार की बीज फूट रही थी, वहीं कारण था की यमन में 6 साल की नौकरी के बाद साल 1954 में वह भार लौट आए, जब वह भारत लौटे तो उस वक्त उनकी जेब में केवल 500 रुपये थे। हालांकि, उस दौर में 500 रुपये की वैल्यू काफी ज्यादा थी।
भारत आने के बाद वह कारोबार का सपना लिए मुंबई पहुंच गए। यहां पहुंचने के कुछ समय बीत जाने के बाद उन्हें इस बात की जानकारी होती है कि देश में पॉलिस्टर की डिमांड काफी ज्यादा है। वहीं विदेश में भारतीय मसाले काफी पंसद किए जाते हैं। यहीं से उन्होंने अपने कारोबारी की शुरुआत की। मुंबई में एक किराए के मकान में उन्होंने अपने चचेरे भाई चंपकलाल दिमानी की मदद से रिलायंस कमर्शियल कॉर्पोरेशन कंपनी की नींव रखी। इसी किराए के कमरे में उन्होंने ऑफिस बनाया। इसके बाद उन्होंने पश्चिमी देशों में अदरक, हल्दी और अन्य मसाले बेचना शुरू किया।
शुरुआती दौर में अच्छा कारोबार होने के बाद साल 1966 में उन्होंने गुजरात के अहमदाबाद में एक कपड़ा मिल शुरू की। इसका नाम रिलायंस टैक्सटाइल्स रखा। धीरुभाई ने विमल ब्रांड की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे प्लास्टिक, मैग्नम, पेट्रोकेमिकल, बिजली उत्पादन का कारोबार शुरू किया।
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समय के साथ-साथ धीरुभाई अंबानी का कारोबार अपने बुलंदियों की ओर बढ़ने लगा। इसके बाद साल 1985 में उन्होंने रिलायंस टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज लिमिटेड का नाम बदलते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड रखा। साल 1991-92 में उन्होंने गुजरात में पहला प्लांट बनाया जो पेट्रोकेमिकल में काम करता था। इसके बाद धीरूभाई ने पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री में कदम रख दिया। साल 1998-2000 में उन्होंने गुजरात के जामनगर में दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी लगाई।