प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: फरवरी में सरसों के नए फसल की आवक शुरु होने की आहट के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को सरसों तेल-तिलहन के दाम में गिरावट आई। ऊंचे भाव पर खरीदारी नहीं मिलने के कारण कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल में भी गिरावट रही। बाजार सूत्रों ने कहा कि शिकागो एक्सचेंज में घट-बढ़ के बीच सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार आया जबकि पहले से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दाम पर बिक रहे सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे। बिनौला खल का दाम कमजोर रहने के बीच सभी खलों के दाम कमजोर होने तथा कारोबारी धारणा प्रभावित होने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।
मलेशिया एक्सचेंज में सुधार का रुख है और शिकॉगो एक्सचेंज में घट-बढ़ है। बाजार सूत्रों ने कहा कि फरवरी महीने के मध्य में देश के अन्य स्थानों पर सरसों की आवक ठीक से शुरु हो जायेगी। नयी फसल आने से पहले कारोबारी धारणा प्रभावित किये जाने के बीच सरसों तेल-तिलहन के दाम में गिरावट है। इसके अलावा सीपीओ और पामोलीन के दाम पहले ही सोयाबीन से कुछ अधिक ही बैठते हैं और इस भाव पर इन तेलों के कोई लिवाल नहीं हैं। इसलिए सीपीओ और पामोलीन तेल में भी गिरावट आई।
सूत्रों ने कहा कि शिकागो एक्सचेंज में घट-बढ़ के बीच सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार है। सोयाबीन तेल के आयात में आयातकों को नुकसान है क्योंकि पैसों की तंगी की वजह से उन्हें लागत से कम दाम पर सोयाबीन तेल बेचना पड़ रहा है। सोयाबीन तिलहन के दाम के पूर्वस्तर पर रहने का कारण यह है कि सोयाबीन का हाजिर दाम पहले ही एमएसपी से कम है और अधिक नीचे दाम पर किसान इसे बेचने को राजी नहीं दिखते। इस कारण सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे। उन्होंने कहा कि हाजिर बाजार में मूंगफली का दाम पहले ही एमएसपी से 15-20 प्रतिशत नीचे है और ऊंचे भाव पर इसके लिवाल नहीं हैं। इस स्थिति के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।
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सूत्रों ने कहा कि बिनौला खल का दाम टूटा होने से बाकी खल के साथ साथ सोयाबीन डी-आयल्ड केक (डीओसी) के दाम कमजोर बने हुए हैं। नकली खल का कारोबार भी जारी है और इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो यह तेल-तिलहन उद्योग को बेहद अस्थिर बना देगा। देश के तेल-तिलहन उद्योग तथा आयात पर देश को निर्भर होने से बचाने के लिए सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि कपास का उत्पादन कम है तो खल का दाम कैसे सस्ता है? संभवत: नकली खल की इसमें अहम भूमिका है। अगर खल सस्ता है तो फिर दूध के दाम क्यों मंहगे बने हुए हैं? इस सवाल का उत्तर ढूंढ़ने की जरुरत है।