अनिल अंबानी व मुकेश अंबानी (डिजाइन फोटो)
Anil Ambani Downfall Story: कभी दुनिया के 10 अरबपतियों में शुमार होने वाले मशहूर बिजनेस मैन अनिल अंबानी की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। एक तरफ एक-एक कर डूबती कंपनियां डूबती जा रही हैं और अनिल कर्ज के तले तबे हुए हैं, तो दूसरी तरफ ईडी ने भी उन्हें रडार पर ले लिया है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तीन दिन लगातार उनके घर से लेकर दफ्तर तक छापेमारी की। जानकारी के मुताबिक ईडी का ये एक्शन 3 हजार करोड़ रुपये के बैंक लोन घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ है। ईडी की कार्रवाई के बीच चर्चा है कि आखिर अनिल अंबानी के साथ ऐसा क्या हुआ कि वह अर्श से फर्श पर आ गिरे?
यह चर्चा इसलिए है क्योंकि जब धीरूभाई अंबानी की संपत्ति का बंटवारा हुआ था तब मुकेश और अनिल को बराबर दौलत मिली थी। इसके बाद भी कुछ सालों तक अनिल अंबानी मुकेश से आगे रहे। फिर ऐसा क्या हुआ कि अनिल दिवालिया होने की कगार पर आ गए? तो चलिए जानते हैं…
रिलायंस में मुकेश अंबानी 1981 में और अनिल अंबानी 1983 में शामिल हुए। वहीं, जुलाई 2002 में धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद, मुकेश अंबानी रिलायंस समूह के अध्यक्ष बने। अनिल प्रबंध निदेशक बने। मुकेश और अनिल के बीच झगड़ा पहली बार नवंबर 2004 में सामने आया और जून 2005 में दोनों अलग हो गए।
मार्च 2005 में, मुकेश और अनिल की संयुक्त कुल संपत्ति 7 अरब डॉलर थी। उससे पहले, 2004 में, दोनों की संयुक्त कुल संपत्ति 6 अरब डॉलर थी। जबकि, 2003 में यह केवल 2.8 अरब डॉलर थी। इसका मतलब है कि कारोबार संभालने के दो साल के भीतर ही मुकेश और अनिल की कुल संपत्ति ढाई गुना बढ़ गई थी। मुकेश और अनिल की कुल संपत्ति ऐसे समय में बढ़ी थी जब धीरूभाई अंबानी की कुल संपत्ति लगातार दो साल से घट रही थी।
साल 2002 की बात है। उस समय दोनों भाई साथ थे। धीरूभाई अंबानी भी साथ थे। उस समय, रिलायंस समूह ने रिलायंस इन्फोकॉम के साथ दूरसंचार उद्योग में प्रवेश किया था। उस समय फ़ोन पर बात करना महंगा था। उस समय, रिलायंस ने ग्राहकों को कम कीमत पर वॉयस कॉलिंग की सुविधा प्रदान की। कंपनी ने ‘कर लो दुनिया मुट्ठी में’ का नारा दिया।
मुकेश अंबानी व अनिल अंबानी (सोर्स- सोशल मीडिया)
लेकिन, धीरूभाई के निधन के बाद, रिलायंस इन्फोकॉम छोटे भाई अनिल के हिस्से में आ गई। यह वह समय था जब मोबाइल फ़ोन का बाज़ार तेज़ी से बढ़ रहा था। लेकिन, दोनों भाइयों के बीच एक समझौता हुआ और वह समझौता यह था कि मुकेश ऐसा कोई व्यवसाय शुरू नहीं करेंगे जिससे अनिल को नुकसान हो। यह समझौता भी 2010 में समाप्त हो गया।
2010 में ही रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इन्फोटेल ब्रॉडबैंड सर्विस लिमिटेड (IBSL) में 95% हिस्सेदारी 4,800 करोड़ रुपये में खरीदी थी। IBSL देश की पहली और इकलौती कंपनी थी, जिसने देश के सभी 22 ज़ोन में 4G ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम फैलाया। बाद में इसका नाम ‘रिलायंस जियो’ रखा गया। 2016 तक छोटे भाई अनिल की रिलायंस इन्फोकॉम कंपनी की बाजार हिस्सेदारी भी 8% से ज़्यादा थी।
लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, प्राइस वॉर के चलते अनिल की कंपनी के ग्राहक घटते गए और मुकेश की कंपनी के ग्राहक बढ़ते गए। मई 2025 में ट्राई की रिपोर्ट के अनुसार, जियो के 47.24 करोड़ से ज़्यादा ग्राहक हैं। जबकि अनिल अंबानी की रिलायंस के ग्राहकों की संख्या अब 15 हज़ार भी नहीं है।
आज स्थिति यह है कि अनिल अंबानी दिवालिया होने की कगार पर हैं। दूसरी ओर, मुकेश अंबानी अपनी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज को कर्ज मुक्त कर चुके हैं। 31 मार्च 2020 तक रिलायंस इंडस्ट्रीज पर 1.61 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का कर्ज था, लेकिन अब उनकी कंपनी पर कोई कर्ज नहीं है। जबकि, अनिल अंबानी पर 75 हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा का कर्ज है।
वर्तमान में फोर्ब्स के मुताबिक मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति करीब 105 बिलियन डॉलर यानी तकरीबन 9.7 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। वहीं दूसरी तरफ अनिल अंबानी की मौजूदा नेट वर्थ 3 बिलियन डॉलर यानी करीब 2.6 लाख करोड़ रुपए बची है। अब वह अरबपतियों की लिस्ट में भी नहीं है। जबकि 2008 में वह फोर्ब्स अरबपतियों की सूची में 6वें पायदान पर थे।
यह भी पढ़ें: आखिर क्यों फंसते जा रहे हैं अनिल अंबानी? तीसरे दिन भी जारी ED छापेमारी
अनिल अंबानी का अधिकांश साम्राज्य या तो ध्वस्त हो चुका है या उसका आकार काफी कम हो गया है। जबकि बड़े भाई मुकेश अंबानी एशिया के सबसे अमीर आदमी हैं, लेकिन अनिल का पतन इस बात की याद दिलाता है कि उधार के पैसों और अनियंत्रित महत्वाकांक्षा पर बनी सफलता भी उतनी ही जल्दी गायब हो सकती है।