प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: भारत में तेजी से घरों में एयरकंडीशनर (AC) लग रहे हैं और इन्हें चलाने में देश की कुल बिजली खपत का तकरीबन एक चौथाई हिस्सा जा रहा है। इसके वर्ष 2030 तक एक तिहाई होने की संभावना है। यह बात इंटरनेशनल एनर्जी एसोसिएशन (आइईए) ने सोमवार को वैश्विक इलेक्ट्रिकसिटी बाजार रिपोर्ट में कही भारत का बिजली बाजार दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रहा है। वर्ष 2025 से 2027 के बीच भारत में बिजली की खपत में 6.3 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाते हुए कहा गया है कि आपूर्ति इस मांग को पूरा करने में पिछड़ सकती है।
वर्ष 2030-32 तक पीक आवर में बिजली की मांग और आपूर्ति में 20-40 हजार मेगावाट की कमी की संभावना जताई गई है। आईए की रिपोर्ट को उर्जा क्षेत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वैसे तो अभी 20 फीसदी से कम घरों में एयर कंडीशनर है, लेकिन वर्ष 2024 में कुल पीक आवर में 60 हजार मेगावाट बिजली की खपत की है।
यानी पिछले वर्ष के पीक आवर में अधिकतम डिमांड 2.50 लाख मेगावाट का 24 प्रतिशत सिर्फ घरों, कार्यालयों आदि में गर्मी से बचने के लिए किया गया है। वर्ष 2024 के शुरुआती चार-पांच महीने औसत से काफी ज्यादा गर्म रहने की रिपोर्ट इस बात सही साबित करते हैं। पिछले वर्ष भारत में 1.4 करोड़ एयर कंडीशनरों की बिक्री हुई है जो वर्ष 2023 के मुकाबले 27 प्रतिशत ज्यादा है। इस आधार पर आइईए का आकलन है कि वर्ष 2030 तक भारत में कुल बिजली खपत का एक तिहाई (तकरीबन 1.40 लाख मेगावाट) एयर कंडीशनर चलाने में जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में औसतन तापमान में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी से पीक आवर बिजली की मांग में सात मेगावाट की वृद्धि होती है। वर्ष 2014 में बिजली की पीक आवर मांग 1.48 लाख मेगावाट थी जो अब 2.50 लाख मेगावाट को भी पार कर रही है। बिजली की मांग में वृद्धि के लिए सिर्फ तापमान ही नहीं बल्कि तेजी से हो रहा औद्योगिकीकरण, कृषि में बिजली का इस्तेमाल बढ़ने, ज्यादा लोगों को बिजली कनेक्शन से जोड़ने, आवासीय व वाणिज्यिक केंद्रों में ज्यादा इस्तेमाल भी बड़े कारण है।
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रिपोर्ट में केद्र सरकार की तरफ से वर्ष 2019 में लागू पीएम-कुसुम नीति की तारीफ की गई है जिसकी वजह से किसान अब सिंचाई के लिए दिन में भी बिजली चलित पंप का इस्तेमाल करते हैं।