विजय कुमार सिन्हा, फोटो- सोशल मीडिया
Bihar Assembly Election 2025: विजय कुमार सिन्हा दूरदर्शी नेतृत्व की छमता ने उन्हें बिहार की राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति के रूप में स्थापित किया है। 5 जून 1967 को जन्मे, सिन्हा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के दौरान ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के साथ जुड़कर नेतृत्व की नींव रखी थी। वर्तमान में, वह लखीसराय विधानसभा क्षेत्र से 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में चौथी बार लगातार जीत दर्ज करने के उद्देश्य से मैदान में हैं, जिसे भाजपा का एक मजबूत गढ़ माना जाता है।
विजय कुमार सिन्हा ने 2005 में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया और पहली बार लखीसराय सीट से जीत हासिल की। 2010 में इस सीट को पुनः जीतने के बाद से वह लगातार विधायक बने हुए हैं। उनकी राजनीतिक प्रोफाइल को देखें तो कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक और विधायी भूमिकाएं देखने को मिलेंगी-
• श्रम संसाधन मंत्री (2017-2020): इस दौरान उन्होंने श्रम वर्ग के लाभ के लिए कई सुधार और कल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं।
• बिहार विधानसभा के अध्यक्ष (नवंबर 2020 – अगस्त 2022): उनके कार्यकाल को विधानसभा की कार्यवाही को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए ऐतिहासिक कदमों से चिह्नित किया जाता है। उन्होंने पहली बार विधानसभा में शत-प्रतिशत प्रश्नों के जवाब पटल पर मंगवाए, जबकि पहले औसत 15 से 25% ही जवाब आते थे।
• नेता प्रतिपक्ष (अगस्त 2022 – जनवरी 2024): इस भूमिका में उन्होंने प्रशासनिक अराजकता के कारण हुई मौतों के लिए मुआवजे की मांग की, जिसके परिणामस्वरूप मुख्यमंत्री द्वारा 4 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की गई।
• उपमुख्यमंत्री (जनवरी 2024 से वर्तमान): उन्हें जनवरी 2024 में उपमुख्यमंत्री चुना गया, जहां वह सम्राट चौधरी के साथ कार्यरत हैं।
प्रशासनिक स्तर पर, उपमुख्यमंत्री के रूप में सिन्हा ने खनन विभाग के राजस्व को 1600 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3569 करोड़ रुपये (लगभग दोगुना) करने का दावा किया है। उन्होंने ओवरलोडिंग पर रोक लगाने के लिए खनन नीति लाई, जिसके तहत बड़ी गाड़ियों पर 1 लाख रुपये और छोटी गाड़ियों पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
उन्होंने ‘बिहार बिजनेस कनेक्ट’ कार्यक्रम शुरू किया, जिसका उद्देश्य राज्य में निवेशकों के अनुकूल माहौल बनाना है, जिसके तहत ₹1,80,000 करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। कृषि मंत्री के रूप में (फरवरी 2025 से), वह बागवानी नीति और मधु नीति को अंतिम रूप देने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, ताकि कृषि क्षेत्र में क्रांति लाई जा सके। यह भी उल्लेखनीय है कि 17वीं बिहार विधानसभा में पेश किए गए 99 विधेयकों में से सभी 99 (100%) उसी दिन पारित हो गए जिस दिन उन्हें पेश किया गया था।
लखीसराय निर्वाचन क्षेत्र एक ग्रामीण और कृषि-आधारित इलाका है, जहां भू-राजस्व विभाग की नीतियों का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। 2020 के चुनाव में, सिन्हा ने 38.2% वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी। 2025 के चुनाव में, उनका मुकाबला कांग्रेस के अमरेश कुमार, जन सुराज पार्टी के सूरज कुमार और जनशक्ति जनता दल के सुखदेव यादव जैसे नए विरोधियों से है।
2025 के चुनावी हलफनामे के अनुसार, विजय कुमार सिन्हा की कुल घोषित संपत्ति लगभग 11.62 करोड़ रुपये है, और उनकी कुल देनदारियां 1.21 करोड़ रुपये हैं। उनकी व्यक्तिगत चल संपत्ति 1.01 करोड़ रुपये और अचल संपत्ति 3.20 करोड़ रुपये है। उनकी पत्नी ने 7.40 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है। उनकी आय के स्रोतों में मंत्री के रूप में वेतन और भत्ते के साथ-साथ कृषि, किराया और बैंक ब्याज शामिल हैं। उन्होंने 1989 में स्टेट पॉलिटेक्निक बेगूसराय से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया है। उनके हलफनामे के अनुसार, उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है।
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विजय कुमार सिन्हा का कार्यकाल, चाहे वह अध्यक्ष के रूप में रहा हो या उपमुख्यमंत्री के रूप में, पारदर्शिता और विकास पर केंद्रित रहा है। उनका राजनीतिक सफर इस बात का प्रमाण है कि एक बूथ स्तर का कार्यकर्ता भी शीर्ष नेतृत्व में स्थान पा सकता है। 2025 का चुनाव उनके लिए लखीसराय में अपनी राजनीतिक प्रभुत्व को मजबूत करने और बिहार के विकास की यात्रा को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा।