
वैशाली विधानसभा, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Vaishali Assembly Constituency: बिहार का वैशाली (Vaishali), वह पावन भूमि जिसने विश्व को लोकतंत्र का पहला पाठ पढ़ाया, जैन धर्म को उसका अंतिम तीर्थंकर दिया और बौद्ध धर्म को अपना अंतिम उपदेश।
वैशाली जिले की यह विधानसभा सीट अपने ऐतिहासिक, धार्मिक और राजनीतिक महत्व के कारण एक अलग पहचान रखती है। वर्तमान में हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली यह सीट, जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) के मजबूत गढ़ के रूप में भी जानी जाती है।
वैशाली का इतिहास लगभग 600 ईसा पूर्व तक जाता है, जब यह क्षेत्र लिच्छवी वंश के शासनकाल में विश्व का पहला गणराज्य बना।
लोकतंत्र की जननी: यहाँ चुने हुए प्रतिनिधियों की सभा और सुशासन व्यवस्था थी, जिसे एशिया का पहला गणराज्य राज्य माना जाता है।
तीर्थंकर और बुद्ध: यह वही धरती है जहाँ जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म हुआ था, और गौतम बुद्ध ने अपना अंतिम प्रवचन दिया था। प्रसिद्ध नगरवधू अंबपाली ने भी यहीं बुद्ध के मार्ग का अनुसरण कर संन्यास लिया था।
राजा विशाल का किला: वैशाली का नाम राजा विशाल के नाम पर पड़ा, जिनके बनाए विशाल किले के अवशेष आज भी इतिहास की गवाही देते हैं।
वैशाली विधानसभा सीट की स्थापना 1967 में हुई थी। शुरुआती दशकों में यह सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ रही, जिसने पाँच बार जीत हासिल की।
क्षेत्रीय दलों का उदय: 2000 के बाद क्षेत्रीय दलों ने अपना दबदबा कायम किया। पिछले दो दशकों में, जेडीयू ने यहाँ लगातार पाँच बार जीत दर्ज की है।
2020 का परिणाम: 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार सिद्धार्थ पटेल ने कांग्रेस प्रत्याशी संजीव सिंह को हराकर सीट बरकरार रखी। एनडीए गठबंधन की मजबूती और नीतीश कुमार की विकासवादी छवि ने जेडीयू को यहाँ लगातार बढ़त दिलाई है।
2025 की चुनौती: अब JDU के सामने लगातार छठी बार जीत दर्ज करने की चुनौती है, जबकि कांग्रेस और राजद यहाँ धीरे-धीरे अपनी पकड़ बनाने में जुटी हैं।
वैशाली एक ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है, जहाँ जातीय समीकरण राजनीति का आधार हैं।
मुस्लिम और SC: यहाँ कुल जनसंख्या में लगभग 20.47 फीसदी अनुसूचित जाति (SC) और 12.8 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं।
अग्रणी जातियाँ: यादव, कुर्मी और ब्राह्मण समुदाय भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
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कुर्मी समुदाय का जुड़ाव पारंपरिक रूप से JDU से रहा है। इसके साथ ही यादव और मुस्लिम मतदाताओं की राजनीतिक निष्ठा अक्सर राजद की ओर झुकाव रखती है।
इन समूहों की राजनीतिक निष्ठा और गठबंधन की केमिस्ट्री ही यहाँ चुनाव परिणाम तय करती है। कुल 3,45,163 मतदाताओं वाली यह सीट बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक कड़ा संघर्ष प्रस्तुत करेगी।






