
PM मोदी ने अजमेर दरगाह पर भेजी चादर, फोटो- सोशल मीडिया
SC Rejected Ajmer Dargah Hearing: अजमेर शरीफ दरगाह के 814वें सालाना उर्स के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भेजी गई चादर अब कानूनी विवादों में घिर गई है। हिंदू सेना के अध्यक्ष ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए रोक लगाने की मांग की है, हालांकि शीर्ष अदालत ने फिलहाल इस मामले पर तुरंत सुनवाई करने से मना कर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चढ़ाने के लिए भेजी गई चादर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अर्जी दाखिल की गई थी। चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ के समक्ष इस अर्जी को तत्काल सुनवाई के लिए पेश किया गया था। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि चादर चढ़ाने की प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाई जाए, लेकिन बेंच ने इस मांग को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस मामले पर आज सुनवाई नहीं की जा सकती।
यह अर्जी हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दाखिल की गई है। गुप्ता उस मुकदमे में भी एक पक्षकार हैं, जिसमें दावा किया गया है कि अजमेर दरगाह को हिंदू मंदिर तोड़कर बनाया गया है। उनकी मुख्य दलील यह है कि चूंकि दरगाह परिसर के मालिकाना हक पर विवाद है और मामला अदालत में लंबित है, इसलिए केंद्र सरकार की ओर से वहां चादर भेजना न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने जैसा है। याचिका में कहा गया है कि किसी विवादित ढांचे पर सरकार की ओर से चादर भेजना ‘फेयर ट्रायल’ के अधिकार का उल्लंघन है।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि पूर्व में भी देश के प्रधानमंत्रियों द्वारा अजमेर दरगाह के लिए चादर भेजी जाती रही है और पीएम मोदी ने भी केवल उसी पुरानी परंपरा को कायम रखा है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू को यह चादर पीएम मोदी की ओर से दरगाह पर चढ़ाने दरगाह पहुंच भी गए हैं।
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अजमेर दरगाह को लेकर हाल के दिनों में कई दावे किए गए हैं, जिनमें वहां भगवान शिव का मंदिर होने की बात कही जा रही है। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि जब इस संबंध में ट्रायल कोर्ट में मामला लंबित है और एएसआई (ASI) सर्वे की मांग उठी है, तो ऐसी स्थिति में सरकार का यह कदम गलत है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा तत्काल दखल न देने के फैसले के बाद चादर चढ़ाने का मार्ग फिलहाल प्रशस्त है। ऐसी ही एक अर्जी पहले अजमेर की स्थानीय अदालत में भी दी गई थी।






