विधानसभा सत्र के बीच तेजस्वी के यूरोप टूर पर उठे सवाल (फोटो- सोशळ मीडिया)
Tejashwi Yadav Europe trip news: बिहार की राजनीति में चुनावी सरगर्मी भले ही शांत हो गई हो लेकिन सियासी भूचाल आ रखा है, और इस बार वजह कोई राजनीतिक दांव-पेच नहीं, बल्कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की एक विदेश यात्रा है। इस समय बिहार विधानसभा का महत्वपूर्ण सत्र चल रहा है, लेकिन विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा तेजस्वी यादव सदन से नदारद चल रहे हैं। इस बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के ही वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी ने एक ऐसा दावा कर दिया है जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। तिवारी ने अपनी ही पार्टी के सुप्रीमो लालू यादव के बेटे पर तंज कसते हुए कहा है कि तेजस्वी यादव विधानसभा सत्र के बीच में ही मैदान छोड़कर अपने परिवार के साथ यूरोप की यात्रा पर निकल गए हैं।
शिवानंद तिवारी के इस बयान ने सत्ता पक्ष को बैठे-बिठाए एक बड़ा मुद्दा दे दिया है। बताया जा रहा है कि तेजस्वी यादव विधानसभा सत्र के तीसरे दिन सदन में नहीं पहुंचे थे। जिस वक्त राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का अभिभाषण हो रहा था, उस वक्त नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली थी। पहले यह खबर आई थी कि वे अपनी पत्नी और बच्चे के पास दिल्ली गए हैं, जो पहले ही वहां पहुंच चुके थे। लेकिन अब RJD के ही कद्दावर नेता ने दावा किया है कि दिल्ली तो सिर्फ एक पड़ाव था, असल में वे परिवार समेत यूरोप के टूर पर गए हुए हैं। शिवानंद तिवारी ने इस नेता प्रतिपक्ष के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि तेजस्वी ने मैदान छोड़ दिया है।
शिवानंद तिवारी ने अपने बयान में काफी कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया है। उन्होंने सीधे तौर पर तेजस्वी यादव की क्षमता पर सवालिया निशान लगा दिया। तिवारी ने कहा कि जिस तरह महत्वपूर्ण सत्र को छोड़कर तेजस्वी विदेश गए हैं, उससे यह संदेह पैदा होता है कि क्या उनमें अगले 5 साल तक विरोधी दल के नेता की गंभीर भूमिका निभाने की क्षमता है या नहीं। उन्होंने कहा कि बिहार में विरोध की राजनीति का पूरा मैदान इस वक्त खाली पड़ा है। तिवारी ने चिंता जताते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का बिहार पर अपना झंडा फहराने का सपना पूरा होता दिखाई दे रहा है और इसके लिए सिर्फ जेडीयू या उनके नेता जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि विपक्ष की कमजोरी भी एक बड़ा कारण है।
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गौरतलब है कि हाल ही में संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने प्रचंड जीत हासिल की है, जबकि महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हुआ है और 1 दिसंबर से विधानसभा का सत्र शुरू हुआ था। पहले दो दिन, यानी शपथ ग्रहण और स्पीकर के चुनाव के दौरान तेजस्वी सदन में मौजूद थे और उन्हें नेता प्रतिपक्ष भी घोषित किया गया था। लेकिन तीसरे ही दिन उनकी अनुपस्थिति और अब यूरोप यात्रा के दावे ने विपक्ष की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शिवानंद तिवारी का कहना है कि नीतीश कुमार पांच साल सीएम रहेंगे या नहीं यह संदेह में है, लेकिन विपक्ष का नदारद रहना चिंताजनक है। अब देखना होगा कि आरजेडी इस पर क्या सफाई देती है।