तेज प्रताप यादव (सोर्स- सोशल मीडिया)
पटना: बिहार की राजनीति में नैचुरल नेता के तौर पर मशहूर हो चुके तेज प्रताप यादव इस समय मुश्किलों के चक्रव्यूह में फंस चुके हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव सर पर है। जिसके चलते तेज प्रताप यादव राजनीतिक चक्रव्यूह से बाहर निकलने के रास्ते तलाश रहे हैं।
पहले महुआ और फिर हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए तेज प्रताप राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से निष्कासित होने के बाद अपने लिए नया राजनीतिक वजूद तलाशने में जुटे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि तेज प्रताप आगामी चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ सकते हैं या अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप को लेकर शुरू हुआ बवाल राजनीति में लगातार चर्चा में है। राजनीतिक दल भी इस मुद्दे पर लगातार राजद पर हमला बोल रहे हैं। हालांकि, पार्टी तेज प्रताप को खुद से अलग कर मामले को शांत करने की कोशिश जरूर कर रही है, लेकिन परिवार और राजनीति दोनों से दूर होने के बाद तेज प्रताप के लिए कई चुनौतियां हैं।
अगर वह अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब भी दें तो मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। इसीलिए परिवार और पार्टी से दूर होने के बाद लगातार राजनीतिक तीरों का सामना कर रहे तेज प्रताप अब नया रास्ता तलाश रहे हैं। हालांकि, कुछ लोगों का दावा है कि इस मामले को लेकर यह नया रास्ता हो सकता है।
राजद और परिवार से नाता तोड़ने के बाद तेज प्रताप के सामने राजनीतिक चक्रव्यूह को तोड़कर आगे बढ़ने की चुनौती है। लालू प्रसाद ने तेज प्रताप को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। राजद से निष्कासित तेज प्रताप हसनपुर से विधायक बनने के बाद बिहार की महागठबंधन सरकार में मंत्री बनाए गए थे।
तस्वीर शेयर होने के बाद उनके समर्थकों को राजद से टिकट मिलने की संभावना भी न के बराबर है, ऐसे में उनके निर्दलीय या किसी नई पार्टी के बैनर तले चुनावी मैदान में उतरने की संभावना प्रबल हो गई है। इससे पहले भी लालू के बेटे (तेज प्रताप) ने कई ऐसे काम किए, जिससे राजद की मुश्किलें बढ़ीं।
अपनी मर्जी से काम करने वाले तेज प्रताप अब अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। तेज प्रताप ने 2017 में धर्मनिरपेक्ष सेवक संघ (DSS) का गठन किया था। उन्होंने इस संगठन को सभी संगठनों से आगे ले जाने की मंशा भी जताई थी। आरक्षण के मुद्दे को लेकर आगे बढ़े तेज प्रताप अब बदलते समीकरणों को देखते हुए नई राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं।