लोक गायिका शारदा सिन्हा
पटना: ‘बिहार कोकिला’ के नाम से प्रख्यात लोक गायिका शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार आज यानी गुरुवार को को पटना में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। आखिरकार लोक गायिका शारदा सिन्हा आज छठ के तीसरे दिन पंचतत्व में विलीन हो हीं गईं।
आज पटना के गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके बेटे अंशुमान ने आज उन्हे मुखाग्नि दी। घाट पर ‘शारदा सिन्हा अमर रहे’ के साथ-साथ छठी मईया के जयकारे भी आज खुब गूंजे । उनके अंतिम सफर में उनका ही गाया आखिरी छठ गीत ‘दुखवा मिटाई छठी मईया’ भी बजा। ये गाना शारदा सिन्हा ने दिल्ली AIIMS से ही रिलीज किया था।
जानकारी दें कि, लंबे समय से मायलोमा (एक तरह का रक्त कैंसर) से जूझ रहीं सिन्हा का बीते मंगलवार रात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया था। वह 72 साल की थीं। शारदा सिन्हा के पति का भी निधन ठीक 45 दिन पहले यानी बीते 22 सितंबर को हुआ था। वहीं उनका अंतिम संस्कार पटना के गुलबी घाट पर ही किया गया था। शारदा सिन्हा की भी यही इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार भी इसी घाट पर हो।
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#WATCH | Bihar: Mortal remains of renowned folk singer Sharda Sinha being taken for her last rites, in Patna. Her last rites will be performed with full state honours. pic.twitter.com/ImXzPaVigT
— ANI (@ANI) November 7, 2024
बता दें कि, शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर पटना में उनके राजेंद्र नगर स्थित आवास (कंकड़बाग के पास) में रखा गया था, जहां प्रशंसक और शुभचिंतक लोक गायिका के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इससे पहले, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित सिन्हा का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किए जाने की घोषणा की थी। वहीं सिन्हा को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए नीतीश बुधवार दोपहर उनके आवास पर पहुंचे थे।
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बिहार की समृद्ध लोक परंपराओं को राज्य की सीमाओं से बाहर भी लोकप्रिय बनाने वाली शारदा सिन्हा के कुछ प्रमुख गीतों में ‘‘छठी मैया आई ना दुआरिया”, ‘‘कार्तिक मास इजोरिया”, ‘‘द्वार छेकाई”, ‘‘पटना से”, और ‘‘कोयल बिन” शामिल थे। इसके अलावा, उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों के लिए भी कई गाने गए थे। इनमें ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर-2′ के ‘तार बिजली’ और ‘हम आपके हैं कौन’ के ‘बाबुल’ जैसे गाने शामिल हैं।
एक प्रशिक्षित शास्त्रीय गायिका सिन्हा को उनके गीतों में शास्त्रीय और लोक संगीत के अद्भुत मिश्रण के लिए जाना जाता था। ‘मिथिला की बेगम अख्तर’ कहलाने वाली सिन्हा लगातार बिगड़ती सेहत के बावजूद छठ पर हर साल एक नया गीत जारी करती थीं। इस साल उन्होंने अपने निधन से ठीक एक दिन पहले छठ के लिए “दुखवा मिटाईं छठी मइया” गीत जारी किया था, जिससे कैंसर से उनकी कठिन लड़ाई का दर्द बयां होता है।
सुपौल में जन्मी ‘बिहार कोकिला’ शारदा सिन्हा छठ पूजा और शादी जैसे अवसरों पर गाए जाने वाले लोकगीतों के कारण अपने गृह राज्य बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बेहद ही लोकप्रिय थीं। उन्होंने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषा में कई यादगार लोकगीत गाए थे।