प्रशांत किशोर, नीतीश कुमार (फोटो-सोशल मीडिया)
नालंदाः बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा तेजी से चढ़ रहा है। वहीं सूबे के सीएम नीतीश कुमार ने रोको पॉलिटिक्स शुरू कर दी है। सोमवार को जनसुराज संस्थापक प्रशांत किशोर नालंदा स्थित सीएम नीतीश कुमार के पैतृक गांव जानें की कोशिश कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। प्रशांत किशोर ने बिहार सीएम को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अगर सरकार को अपने ही गांव में लोगों से मिलने देने में डर लग रहा है, तो फिर पूरे बिहार के 40,000 गांवों को बंद कर देना चाहिए।”
इससे पहले कांग्रेस नेता व लीडर ऑफ अपोजिशन राहुल गांधी का पटना में दलित युवाओं के साथ एक संवाद कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम के लिए परमिशन नहीं मिली। जब राहुल गांधी कार्यक्रम स्थल पर जानें लगे तो उन्हें पुलिस ने रोक लिया। हालाकि वह नहीं माने जबरदस्ती जाकर युवाओं से संवाद किया।
क्या बोले प्रशांत किशोर?
राजनीतिक रणनीतिकार से जनसेवक बने प्रशांत किशोर को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैतृक गांव में पुलिस घुसने नहीं दिया। किशोर अपनी टीम के साथ गांव के दलित परिवारों से मिलने जा रहे थे। उनका कहना है कि इन परिवारों को सरकार की योजनाओं का फायदा नहीं मिल रहा है, लेकिन पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी। प्रशांत किशोर ने यहां तक कहा कि कहा, “आप यहीं रुकिए, हमारे आगे चार लोग जा रहे हैं। हमें जानकारी है कि यहां धारा 144 लागू नहीं है। यह लोकतांत्रिक देश है। किसी गांव में जाने और लोगों से मिलने पर कोई रोक नहीं होनी चाहिए।” इसके बावजूद भी पुलिस ने गांव नहीं घुसने दिया।
प्रशांत किशोर को नीतीश के गांव में क्यों नहीं मिली एंट्री
बिहार शरीफ के एसडीएम नितिन वैभव काजले ने कहा कि वे बिना किसी सूचना के एक गैरघोषित रैली लेकर आ गए। कानून और व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए हम उन्हें अंदर नहीं जाने दे सकते। बिहार शरीफ में एक सार्वजनिक सभा हो रही है, आप उसमें शामिल हो सकते हैं। हम वहां हर तरह की सुविधा देंगे, लेकिन अगर आप हंगामा करेंगे, तो हमें कार्रवाई करनी पड़ेगी।