
पीएम मोदी व नीतीश कुमार (डिजाइन फोटो)
Bihar Chunav: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को दूसरे चरण का मतदान होना है। जिसके लिए रविवार को प्रचार-प्रसार थम गया है। इस बीच सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की हो रही है कि नीतीश कुमार और पीएम मोदी एक साथ क्यों नहीं दिखे? विपक्षी दलों का तो यहां तक दावा है कि चुनाव के बाद नीतीश कुमार को बीजेपी सीएम भी नहीं बनाएगी।
बिहार चुनाव के दौरान इस बार पीएम मोदी और नीतीश कुमार एक साथ नहीं दिखाई दिए। रैलियों की बात तो दूर रही…जब पीएम ने पटना में रोड शो किया उससे भी सीएम नीतीश कुमार नदारद रहे। इसके पीछे की वजह क्या है? वो केंद्रीय मंत्री और बिहार चुनाव के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने बयां कर दी है।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में धर्मेंद्र प्रधान से पीएम मोदी और नीतीश कुमार को लेकर पूछा गया कि ये दो चेहरे, एक रैली में, एक सभा में, एक रोड शो में एक साथ क्यों नहीं दिखाई दिए? जिसका धर्मेंद्र प्रधान ने विस्तारपूर्वक जवाब दिया है।
प्रधान ने बताया कि चुनावों की घोषणा से पहले, प्रधानमंत्री लगभग सात-आठ बड़े सरकारी कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए बिहार आए थे। हमारे एनडीए का औपचारिक प्रचार अभियान 24 अक्टूबर को समस्तीपुर में शुरू हुआ था। नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा समेत एनडीए के सभी नेता और बिहार से जेडीयू और बीजेपी के सभी बड़े नेता मौजूद थे।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि हमने तय किया था कि सभी अलग-अलग प्रचार करेंगे। छठ और दो दिन की बारिश के कारण प्रचार का समय थोड़ा कम हो गया था। इसे ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के सभी एनडीए नेताओं की अलग-अलग योजनाएं थीं।
एक सवाल पर कि कई मतदाता यह समझ नहीं पा रहे थे कि कमल ही तीर है, तीर ही कमल है, क्योंकि वे तीर खोज रहे थे, जीविका दीदियों से कह रहे थे कि उन्हें तीर नहीं दिख रहा, इसलिए उन्हें पता नहीं चला कि अगर एनडीए को वोट देना है तो कमल का बटन दबाना है। अगर नीतीश कुमार और पीएम मोदी साथ होते, तो शायद यह आसान होता।
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इस सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि साल 2005, 2010, 2020, 2009, 2019 और 2024, तीनों विधानसभा और लोकसभा चुनाव साथ लड़े। एनडीए एकजुट होकर लड़ा। एनडीए की ताकत पूरे समाज के सामने है।






