फुलपरास विधानसभा सीट, डिजाइन फोटो (नवभारत)
Phulparas Assembly Constituency Profile: 1977 का उपचुनाव फुलपरास के इतिहास में मील का पत्थर है। जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री बने, लेकिन वे विधायक नहीं थे। ऐसे में देवेंद्र प्रसाद यादव ने फुलपरास सीट खाली की, जिससे कर्पूरी ठाकुर उपचुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे और मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली।
पिछले 15 वर्षों से इस सीट पर जनता दल (यूनाइटेड) का वर्चस्व रहा है। दिलचस्प यह है कि भाजपा और राजद जैसी प्रमुख पार्टियां अब तक इस सीट को जीत नहीं पाई हैं। 1951 से अब तक हुए 18 चुनावों में जदयू ने 4 बार, कांग्रेस ने 5 बार, और संयुक्त समाजवादी पार्टी व जनता पार्टी ने तीन-तीन बार जीत दर्ज की है।
फुलपरास की चुनावी राजनीति में यादव उपनाम वाले नेताओं का दबदबा रहा है। अब तक हुए 18 चुनावों में से 13 बार यादव उपनाम वाले प्रत्याशी विजयी रहे हैं। यह जातिगत समीकरण यहां की सियासत को गहराई से प्रभावित करता है और 2025 में भी निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
2024 की अनुमानित जनसंख्या के अनुसार, फुलपरास विधानसभा क्षेत्र में कुल 5,61,998 लोग रहते हैं। इनमें 2,90,825 पुरुष और 2,71,173 महिलाएं शामिल हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, यहां कुल 3,34,289 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें पुरुष मतदाता 1,74,359, महिला मतदाता 1,59,914 और थर्ड जेंडर मतदाता 16 हैं।
फुलपरास एक समतल और उपजाऊ क्षेत्र है, जहां भुतही-बलान नदी बहती है। कृषि यहां की मुख्य आजीविका है, लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति आज भी संतोषजनक नहीं है। सरकारी सेवाओं की पहुंच सीमित है और युवाओं को रोजगार के अवसरों की कमी का सामना करना पड़ता है।
यह क्षेत्र जिला मुख्यालय मधुबनी से 40 किमी, झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र से 30 किमी और दरभंगा से करीब 65 किमी दूर स्थित है। पटना से इसकी दूरी लगभग 180 किमी है। यह रणनीतिक स्थिति इसे राजनीतिक दृष्टि से अहम बनाती है, खासकर सीमावर्ती और ग्रामीण विकास के मुद्दों पर।
2008 के परिसीमन के अनुसार, फुलपरास विधानसभा क्षेत्र में तीन प्रमुख सीडी ब्लॉक शामिल हैं- घोघरडीहा, फुलपरास और मधेपुर। इन ब्लॉकों के अंतर्गत पिरोजगढ़, महिंदवार, धरमडीहा, गोढ़ियारी, महथौर खुर्द, छात्र बरही, रामनगर, सुंदर बिराजित, मटरास, तरडीहा, महिशाम, नवादा, करहारा, दारा, दोलख, महपतिया, बसीपट्टी, गढ़गांव, भकराईन, बाथ, बकवा, भरगावां, बरशाम, भेजा और रोहुआ संग्राम जैसे पंचायत आते हैं।
इस बार का चुनाव सिर्फ कर्पूरी ठाकुर की विरासत पर नहीं, बल्कि विकास के मुद्दों पर भी केंद्रित है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर जनता में असंतोष है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन-सा दल जननायक की धरती पर जनता का विश्वास जीत पाता है।
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फुलपरास विधानसभा चुनाव 2025 में विरासत, जातिगत समीकरण और विकास की त्रिकोणीय लड़ाई देखने को मिलेगी। जननायक की स्मृतियों से जुड़ी यह धरती एक बार फिर तय करेगी कि सामाजिक न्याय की मशाल किसके हाथ में जाएगी।