लालू यादव, फोटो - सोशल मीडिया
पटना : दिल्ली की एक विशेष अदालत में भूमि के बदले नौकरी घोटाले के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर आरोप पत्र पर 23 मई को अहम सुनवाई हुई। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने ईडी की दलीलें सुनने के बाद, इस आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के मामले में अपना फैसला 3 जून 2025 तक के लिए सुरक्षित रख लिया है।
ईडी की ओर से पेश अधिवक्ता मनीष जैन ने बताया कि एजेंसी को इस घोटाले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की आवश्यक मंजूरी मिल चुकी है। गौरतलब है कि यह मंजूरी भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 8 मई को सीआरपीसी की धारा 197(1) (नए भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 218) के तहत दी थी।
यह मामला उस समय का है जब लालू प्रसाद यादव केंद्र सरकार में रेल मंत्री थे। आरोप है कि इस दौरान रेलवे में नौकरी दिलाने के एवज में उम्मीदवारों से जमीनें ली गईं। इन जमीन सौदों में लालू प्रसाद और उनके परिवार पर फर्जीवाड़े और बेनामी संपत्तियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप है।
ईडी ने इस मामले में सिर्फ लालू प्रसाद यादव ही नहीं, बल्कि उनके पूरे परिवार को जांच के घेरे में लिया है।
ईडी ने अगस्त 2023 में इन सभी के खिलाफ पहली चार्जशीट दायर की थी। इसके बाद जनवरी 2024 में एक और पूरक आरोप पत्र दाखिल किया गया।
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14 मई को अदालत को सूचित किया गया था कि गृह मंत्रालय की मंजूरी अब प्राप्त हो गई है। इस पर विशेष न्यायाधीश ने कहा था कि ईडी द्वारा दिए गए आवेदन को रिकॉर्ड में लाया जाएगा। अब सभी की नजरें 3 जून पर टिकी हैं, जब यह तय होगा कि कोर्ट आरोप पत्र पर संज्ञान लेकर आगे की प्रक्रिया शुरू करता है या नहीं।