लालू प्रसाद यादव (फोटो-सोशल मीडिया)
Land For Job Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव द्वारा लैंड फॉर जॉब मामले में त्वरित सुनवाई की याचिका खारिज कर दी। इस मामले में सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ FIR दर्ज किया था। आरोप है कि राजद प्रमुख ने रेलवे में नौकरी लगवाने के बदले लोगों से जमीन की रजिस्ट्री करवाई थी। न्यायमूर्ति रविंदर ढींगरा ने गुरुवार को कहा कि मामला पहले ही 12 अगस्त, 2025 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। जस्टिस ने कहा कि वह तारीख “बहुत दूर नहीं है।
लालू प्रसाद यादव ने अदालत से आग्रह किया था कि मामले की सुनवाई पहले की जाए। कोर्ट में यादव की तरफ से बताया गया कि निचली अदालत ने आरोप तय करने पर बहस 26 जुलाई से 2 अगस्त के बीच की निर्धारित की है। उन्होंने अपनी याचिका में हाईकोर्ट द्वारा प्राथमिकी रद्द करने की याचिका पर फैसला सुनाए जाने से पहले मुकदमे को आगे बढ़ने से रोकने की मांग की थी।
कोर्ट में राजद नेता की तरफ से तर्क दिया गया कि अगर मुकदमे की कार्यवाही को आगे बढ़ने दिया गया तो हाईकोर्ट की याचिका निरर्थक हो जाएगी। हालांकि, न्यायाधीश ने कहा कि मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग वाली एक पूर्व याचिका को हाईकोर्ट 29 मई को ही खारिज कर चुका है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी 18 जुलाई के अपने आदेश में हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।
हाईकोर्ट ने इससे पहले यादव की मुख्य याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया था, जिसमें एफआईआर और 2022, 2023, 2024 में दायर तीन आरोपपत्रों को चुनौती दी गई थी। एजेंसी पर कथित अपराध के लगभग 14 साल बाद काफी देरी से मामला दर्ज करने का आरोप है, जबकि उसने पहले ही इस मामले की जांच बंद कर दी थी। यह मामला 2004 से 2009 तक लालू प्रसाद यादव के केंद्रीय रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर ज़ोन में ग्रुप डी के पदों पर कथित तौर पर की गई नियुक्तियों से संबंधित है।
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सीबीआई के अनुसार, ये नियुक्तियां उनके परिवार के सदस्यों या सहयोगियों के नाम पर हस्तांतरित ज़मीन के टुकड़ों के बदले में की गई थीं। यादव ने अपनी याचिका में लंबे अंतराल के बाद जांच फिर से शुरू करने को “कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग” बताया। उन्होंने यह भी दावा किया कि कार्यवाही के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत उचित मंज़ूरी नहीं ली गई, जिससे जांच शुरू से ही निरर्थक हो गई।