लेसी सिंह, फोटो- सोशल मीडिया
Bihar Assembly Election 2025: जहां जनता दल (यूनाइटेड) की वरिष्ठ नेता और वर्तमान मंत्री लेसी सिंह का मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की दिग्गज नेता बीमा भारती से है। धमदाहा सीट पर दो प्रभावशाली महिला नेताओं की यह टक्कर आगामी चुनाव का केंद्र बिंदु बनने जा रही है।
लेसी सिंह जनता दल (यूनाइटेड) की एक वरिष्ठ सदस्या हैं, जिन्होंने समता पार्टी के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। वह पांच बार धमदाहा से विधायक रह चुकी हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में, लेसी सिंह ने 97,057 वोट प्राप्त करके RJD के दिलीप कुमार यादव को 33,594 वोटों के भारी अंतर से हराया था। वह वर्तमान में बिहार सरकार में खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री हैं। लेसी सिंह को नीतीश कुमार कैबिनेट की वरिष्ठ सदस्यों में से एक माना जाता है।
आरजेडी (RJD) ने पहली बार धमदाहा सीट से पूर्व विधायक बीमा भारती को मैदान में उतारने का मन बना लिया है। बीमा भारती, जो पड़ोसी रूपौली विधानसभा सीट से पाँच बार जीत चुकी हैं, लेसी सिंह के खिलाफ अति पिछड़ा वर्ग (EBC) कार्ड खेल रही हैं। धमदाहा में अति पिछड़ा समाज की आबादी लगभग 1.50 लाख है, जबकि लेसी सिंह जिस राजपूत समाज से आती हैं, उसकी आबादी करीब 4,000 के आसपास है। यह जातीय समीकरण इस मुकाबले को बेहद कांटेदार बना रहा है।
इन दोनों नेताओं के बीच मनमुटाव पुराना है। सितंबर 2022 में, जब लेसी सिंह को महागठबंधन सरकार में मंत्री बनाया गया, तो बीमा भारती ने खुले तौर पर पार्टी के इस फैसले पर आपत्ति जताई थी। बीमा भारती ने लेसी सिंह पर हत्या और जबरन वसूली जैसे कई आपराधिक आरोप लगाए थे, जिसके बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देने की धमकी भी दी थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस सार्वजनिक बयान के लिए बीमा भारती को फटकार लगाई थी। जवाब में, लेसी सिंह ने बीमा भारती पर 5 करोड़ रुपये की मानहानि का नोटिस भेजा था।
दिलचस्प बात यह है कि दोनों नेताओं ने लगभग एक ही समय, वर्ष 2000 में, अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। दोनों के पति भी पूर्णिया क्षेत्र के प्रभावशाली व्यक्ति रहे हैं। लेसी सिंह के पति भूटन सिंह की 2000 में हत्या कर दी गई थी। यह लड़ाई केवल राजनीतिक सीटों की नहीं, बल्कि पूर्णिया की राजनीति में सर्वोच्चता की लड़ाई मानी जा रही है।
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धमदाहा सीट पर लेसी सिंह के प्रभुत्व को तोड़ने के लिए, आरजेडी ने उनके खिलाफ सीधे एक महिला और अति पिछड़े वर्ग की कद्दावर नेता को उतारने की रणनीति बनाई है। यह चुनाव न केवल धमदाहा का भविष्य तय करेगा, बल्कि यह भी दिखाएगा कि पूर्णिया में जातिगत समीकरण बनाम स्थापित राजनीतिक विरासत की लड़ाई में कौन जीतता है।