गया टाउन विधानसभा, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Gaya Town Assembly Constituency: बिहार का गया टाउन विधानसभा क्षेत्र धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ राज्य की राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह पवित्र शहर पिंडदान की परंपरा और बौद्ध, जैन धर्मों का प्रमुख केंद्र है। फल्गु नदी के किनारे बसे इस क्षेत्र ने हाल के चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा का अनुभव किया है।
प्राचीनता: गया का उल्लेख रामायण और महाभारत में मिलता है। मान्यता है कि भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने अपने पिता के लिए पिंडदान करने यहाँ आए थे।
बौद्ध केंद्र: सम्राट अशोक के समय में गया बौद्ध धर्म के प्रचार का केंद्र बन गया, क्योंकि यह बोधगया के निकट स्थित है, जहाँ भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
अर्थव्यवस्था: पटना के बाद बिहार की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला शहर है। यहाँ की आजीविका कृषि, अगरबत्ती, पारंपरिक मिठाइयाँ और हथकरघा जैसे छोटे पैमाने के उद्योगों पर निर्भर है।
गया टाउन विधानसभा क्षेत्र 1957 में अस्तित्व में आया था। यहाँ की राजनीति हमेशा परिवर्तनशील रही है, जहाँ कांग्रेस, भाकपा, भाजपा, और राजद जैसे कई दलों को जीत मिली है।
राजद 5 बार 2015 और 2020 में लगातार जीत, लेकिन जीत का अंतर कम रहा।
भाजपा/जनसंघ 3 बार एनडीए गठबंधन के तहत मजबूत दावेदार।
कांग्रेस 2 बार शुरुआती चुनावों में दबदबा।
2020 का मुकाबला: राजद के कुमार सर्वजीत ने भाजपा के हरी मांझी को सिर्फ 4,708 वोटों के मामूली अंतर से हराकर सीट बरकरार रखी थी।
2024 का बड़ा उलटफेर: 2024 के लोकसभा चुनाव में, हम पार्टी के संस्थापक और वर्तमान केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी (NDA) ने गया सीट जीती। उन्हें गया टाउन विधानसभा क्षेत्र में 31,000 से अधिक मतों की जबरदस्त बढ़त मिली।
गया शहर विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह शहरी है, जहाँ की राजनीति स्थानीय मुद्दों और जातीय समीकरणों से प्रभावित होती है:
मुस्लिम मतदाता: यहाँ 20.8% मुस्लिम मतदाता हैं, जो पारंपरिक रूप से राजद के एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण को मजबूत करते हैं।
अनुसूचित जाति (SC): 9.38% SC मतदाता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
शहरी रुझान: चूंकि यह पूरी तरह शहरी सीट है, यहाँ के मतदाता विकास, बुनियादी ढांचे, कानून व्यवस्था और रोजगार जैसे मुद्दों पर अधिक संवेदनशील होते हैं, जो भाजपा/एनडीए के शहरी एजेंडे को बल देता है।
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में, राजद के कुमार सर्वजीत के लिए NDA गठबंधन की 31,000 वोटों की प्रचंड बढ़त को तोड़कर सीट को बचाए रखना एक कड़ी चुनौती होगी। इस बार जीत का फैसला शहरी विकास के मुद्दों और अंतिम समय की जातीय गोलबंदी से होगा।