
तेजस्वी यादव व राहुल गांधी (कॉन्सेप्ट फोटो)
Bihar Politics: बिहार में सियासी संग्राम के शंखनाद के बाद चुनावी माहौल अब पूरी तरह से गरमा चुका है। राजनैतिक गलियारों में चाय की चुस्कियों के साथ चल रहीं सियासी चर्चाओं ने इस माहौल को और मनोहर कर दिया है। इसके साथ ही सियासी पंडित भी चुनावी समीकरणों का गुणा-गणित करने में जुट गए हैं।
इस गुणा-गणित और राजनैतिक गलियारों से एक ऐसी ख़बर निकलकर सामने आई है जिसने महागठबंधन की टेंशन दोगुनी कर दी है। क्योंकि बिहार में इस बार भी कांग्रेस की राह आसान नहीं दिख रही है। 2020 के चुनाव में कांग्रेस के खाते में 70 सीटें आई थी जिसमें से 19 पर ही जीत हासिल हो सकी थी।
इस लिहाज से देखा जाए तो पिछली बार कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 27% रहा था। लेकिन इस बार मुकाबला और कठिन लग रहा है। क्योंकि इस बार उसके हिस्से में सिर्फ 61 सीटें ही आई हैं। इनमें से 56 विधानसभा सीटे ऐसी हैं जहां कांग्रेस का सीधा मुकाबला जेडीयू और बीजेपी से है।
अगर अतीत पर नजर डालें तो बिहार में कांग्रेस की कमजोरी नई नहीं है। साल 1995 से लेकर अब तक कभी भी वह 30 सीटों का आंकड़ा पार नहीं कर सकी है। 2005 में उसे 9 सीटें मिली जो कि 2010 में गिरकर 4 हो गईं। इसके बाद 2015 में कांग्रेस ने सबसे बेहतर प्रदर्शन करते हुए 27 सीटें जीती थीं।
इन सब के अलावा इस बार के चुनाव से पहले नैरेटिव वॉर में भी कांग्रेस पीछे दिखाई दे रही है। राहुल गांधी ने SIR के मुद्दे को हवा तो दी लेकिन जब इस पर असली काम करने की बारी आई तो वे विदेश निकल गए। दूसरी तरफ पीएम मोदी ने बिहार में कदम रखते ही सेटिंमेंट टटोलना शुरू कर दिया।
सीवान और मुजफ्फरपुर की रैलियों में उन्होंने कहा कि RJD बिहार को गाली देने वालों के साथ खड़ी है। उन्होंने पंजाब, महाराष्ट्र और तेलंगाना के हालात का भी ज़िक्र किया। हाल ही में, PM मोदी ने यह दावा करके और दबाव बनाया कि कांग्रेस RJD को खत्म करना चाहती है।
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महागठबंधन ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री उम्मीदवारों को लेकर अपनी स्थिति औपचारिक रूप से साफ़ कर दी है। RJD नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है, जबकि VIP सुप्रीमो मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया गया है।
तेजस्वी को सीएम फेस घोषित तो कर दिया गया है लेकिन यदि कांग्रेस इस बार भी उम्दा प्रदर्शन न कर सकी तो उनका सपना अधूरा ही रह जाएगा। इसलिए सबकी निगाहें कांग्रेस की ओर लगी हुई हैं। आखिरी परिणाम क्या होगा इसका जवाब तो 14 नवंबर की तारीख ही दे पाएगी?






