
बिहार के नवजातों पर कैंसर का साया, मां के दूध में मिला यूरेनियम (कॉन्सेप्ट फोटो- सोशल मीडिया)
Uranium in breast milk Bihar: बिहार से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है जिसने हर किसी को गहरी चिंता में डाल दिया है। अभी तक हम पानी और खाने में मिलावट की बातें सुनते थे, लेकिन अब अमृत समान माना जाने वाला मां का दूध भी सुरक्षित नहीं रहा है। नेचर जर्नल में छपी एक नई स्टडी ने बेहद डरावना खुलासा किया है कि बिहार की महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम जैसे खतरनाक और रेडियोएक्टिव तत्व की अत्यधिक मात्रा मिली है। यह खबर न केवल चौंकाने वाली है बल्कि राज्य के नवजातों के भविष्य और स्वास्थ्य पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न भी खड़ा कर रही है।
इस गंभीर और विस्तृत शोध को महावीर कैंसर संस्थान, एम्स दिल्ली और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों की एक संयुक्त टीम ने मिलकर अंजाम दिया है। शोधकर्ताओं ने बिहार के छह प्रमुख जिलों भोजपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, कटिहार और नालंदा की 17 से 35 वर्ष की आयु वाली 40 महिलाओं के नमूनों की बारीकी से जांच की। अक्टूबर 2021 से जुलाई 2024 के बीच किए गए इस अध्ययन में सभी लिए गए नमूनों में यूरेनियम की पुष्टि हुई है। सबसे डराने वाली बात यह है कि पूरी दुनिया में ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम की कोई निर्धारित सुरक्षित सीमा या पैमाना ही नहीं है, जिससे यह स्थिति और भी विकट हो जाती है।
जांच के नतीजों ने बताया कि खगड़िया जिले में यूरेनियम का औसत स्तर सबसे ज्यादा पाया गया है, जबकि कटिहार के एक एकल नमूने में इसकी सबसे अधिक मात्रा दर्ज की गई। एम्स के को-ऑथर डॉ. अशोक शर्मा ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यूरेनियम का मुख्य स्रोत क्या है, लेकिन जिओलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया इसकी जांच कर रहा है। दुर्भाग्य से यह खतरनाक तत्व फूड चेन में प्रवेश कर चुका है। शोध में पाया गया कि करीब 70 प्रतिशत शिशुओं में ऐसे स्तरों के संपर्क का जोखिम है जो उनकी सेहत के लिए गैर-कार्सिनोजेनिक समस्याएं पैदा कर सकता है।
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शिशु यूरेनियम के प्रति बड़ों के मुकाबले बहुत अधिक संवेदनशील होते हैं क्योंकि उनके अंग अभी विकसित हो रहे होते हैं और उनका शरीर विषैली धातुओं को जल्दी अवशोषित करता है। यह यूरेनियम बच्चों की किडनी को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें और भविष्य में कैंसर का जोखिम भी कई गुना बढ़ा सकता है। राज्य में पेयजल के लिए भूजल पर निर्भरता, बिना ट्रीटमेंट वाले औद्योगिक कचरे और रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग इस प्रदूषण का बड़ा कारण माना जा रहा है। हालांकि, इन डरावने नतीजों के बावजूद शोधकर्ताओं ने माताओं को स्तनपान जारी रखने की ही सलाह दी है क्योंकि इसके अन्य फायदे बहुत ज्यादा हैं।






