
जनता को घुमराह कर रहीं सर्वे एजेंसियां! कभी सच साबित नहीं एग्जिट पोल; आंकड़ों से जानें पूरी सच्चाई
Bihar Election Exit Poll: बिहार चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग खत्म होते ही आज शाम 6:30 बजे एग्जिट पोल के नतीजे जारी कर दिए गए हैं। अक एग्जिट पोल से इतर हर किसी की नजर इन आंकड़ों पर टिकी है कि क्या NDA वापसी कर रही है या महागठबंधन कोई बड़ा उलटफेर करेगा। हर एक एग्जिट पोल में NDA की सरकार बन रही है लेकिन इन नतीजों पर कितना भरोसा किया जाए? पिछले दो चुनावों का इतिहास बताता है कि सर्वे एजेंसियों के अनुमान बुरी तरह विफल रहे हैं। जनता का मूड भांपने में ये सर्वे लगातार चूकते रहे हैं, जिससे इनकी विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।
इस बार चुनाव से पहले आए 4-5 एग्जिट पोल में तो एनडीए की सरकार बनती दिख रही है। मार्टिज-आईएएनएस, चाणक्य स्ट्रेटेजी और पोलस्ट्रैट पीपुल्स इनसाइट, सभी ने एनडीए को बहुमत दिया है। लेकिन याद कीजिए 2015 में, जब ज्यादातर पोल्स ने एनडीए को बढ़त दी थी और जीता महागठबंधन। वहीं 2020 में इसका उलटा हुआ, जब पोल्स ने महागठबंधन को जिताया और सरकार एनडीए ने बना ली। यह पैटर्न एक बड़े धोखे की तरफ इशारा करता है। बिहार में 243 सीटों के लिए दो चरणों में चुनाव हुआ है और इसके नतीजे 14 नवंबर को आएंगे।
बिहार एग्जिट पोल 2025
| एजेंसी | NDA (सीटें) | MGB (सीटें) | JSP (सीटें) |
|---|---|---|---|
| Peoples Pulse | 133–159 | 75–101 | 0–5 |
| People’s Insight | 133–148 | 87–102 | 0–2 |
| Matriz | 147–167 | 70–90 | 0 |
| JVC | 135-150 | 88-103 | – |
बिहार में एग्जिट पोल का गणित हर बार बिगड़ने की 4 बड़ी वजहें हैं। सबसे पहली वजह हैं प्रवासी वोटर, जो बिहार से बाहर काम करते हैं और वोट देने के बाद लौटने की जल्दी में होते हैं। ऐसे में उन्हें सर्वे सैंपल में शामिल करना मुश्किल होता है। दूसरी वजह राज्य का जटिल जातीय समीकरण है, जिसे सर्वे एजेंसियां अक्सर अपने छोटे सैंपल साइज के कारण पकड़ नहीं पातीं और निचली जातियों के वोट शिफ्ट को मिस कर देती हैं। तीसरी और सबसे अहम वजह ‘साइलेंट वोटर’ हैं, जो सर्वे करने वालों के सामने अपनी राजनीतिक पसंद या मतदान का इरादा कभी नहीं बताते हैं। चौथी वजह महिला वोटर हैं, जिनका टर्नआउट पुरुषों से भी ज्यादा रहा है, लेकिन वे अपना ओपिनियन खुलकर शेयर नहीं करतीं, जिससे सारे अनुमान धरे के धरे रह जाते हैं।
ओपिनियन पोल-2025 NDA को बहुमत
| सर्वे एजेंसी | NDA (सीटें) | महागठबंधन (सीटें) | अन्य (सीटें) |
|---|---|---|---|
| मार्टिज–IANS | 153–164 | 76–87 | 0–7 |
| चाणक्य स्ट्रेटेजी | 128–134 | 102–108 | 5–9 |
| पोलस्ट्रैट पीपुल्स इनसाइट | 133–143 | 93–102 | 2–9 |
पिछले दो चुनावों के आंकड़े देखें तो यह साफ हो जाता है। 2020 के बिहार चुनाव में 5 एग्जिट पोल में से ज्यादातर ने महागठबंधन की जीत का अनुमान लगाया था। इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया ने 139-161 सीटें और टुडे चाणक्य ने 180 सीटें महागठबंधन को दी थीं। लेकिन नतीजे पूरी तरह उलटे आए और एनडीए ने 125 सीटें जीतकर सरकार बनाई, जबकि महागठबंधन 110 पर सिमट गया। उस चुनाव में एबीपी नीलसन और टाइम्स नाउ सी वोटर के अनुमान 92% तक सटीक रहे थे।
वहीं 2015 में तो तस्वीर और भी खराब थी। उस चुनाव में 4 में से 3 बड़े पोल्स (टुडे चाणक्य, एबीपी नीलसन, सी-वोटर) ने एनडीए की जीत का दावा किया था, जबकि नतीजों में महागठबंधन (RJD-JDU-कांग्रेस) ने 178 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की और एनडीए 58 सीटों पर सिमट गया। उस वक्त सिर्फ इंडिया टुडे-एक्सिस का अनुमान ही 94% सही बैठा था।
| सर्वे एजेंसी | NDA (प्रोजेक्शन) | महागठबंधन (प्रोजेक्शन) | सक्सेस रेट |
|---|---|---|---|
| इंडिया टुडे–एक्सिस माय इंडिया | 58–70 | 169–183 | 94% |
| टुडे चाणक्य | 155–167 | 64–78 | 20% |
| एबीपी नीलसन | 130–150 | 80–100 | 25% |
| सी–वोटर | 120–127 | 105–117 | 31% |
| पोल ऑफ पोल्स | 123 | 112 | 48% |
चुनाव के दौरान दो तरह के सर्वे होते हैं। वोटिंग से पहले जनता की राय जानने को ‘ओपिनियन पोल’ कहते हैं। इस बार के ओपिनियन पोल में मार्टिज-आईएएनएस ने एनडीए को 153-164, चाणक्य स्ट्रेटेजी ने 128-134 और पोलस्ट्रैट पीपुल्स इनसाइट ने 133-143 सीटें दी हैं। वहीं, वोटिंग के दिन बूथ से निकल रहे वोटरों से पूछकर जो अनुमान लगाया जाता है, उसे ‘एग्जिट पोल’ कहते हैं। एजेंसियां इन्हीं जवाबों के आधार पर हार-जीत का अनुमान लगाती हैं।
| सर्वे एजेंसी | NDA (प्रोजेक्शन) | महागठबंधन (प्रोजेक्शन) | सक्सेस रेट |
|---|---|---|---|
| इंडिया टुडे–एक्सिस माय इंडिया | 69–91 | 139–161 | 64% |
| टुडे चाणक्य | 55 | 180 | 40% |
| एबीपी नीलसन | 104–128 | 108–131 | 92% |
| टाइम्स नाउ–सी वोटर | 116 | 120 | 92% |
| भास्कर पोल | 120–127 | 71–81 | 84% |
| पोल ऑफ पोल्स | 98 | 129 | 74% |
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ज्यादातर एजेंसियों के एग्जिट पोल नतीजों से काफी दूर रहे। राज्य में एनडीए को 235 और एमवीए को 49 सीटें मिलीं, लेकिन अधिकांश पोल ने एनडीए को उससे काफी कम और एमवीए को अधिक दिखाया। किसी भी एजेंसी का अनुमान 40% के आस-पास भी नहीं पहुंच पाया।
झारखंड विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल मिला-जुला रहा। राज्य में एनडीए को 24 और इंडिया गठबंधन को 56 सीटें मिलीं, लेकिन केवल एक एजेंसी ही 90% से ज्यादा सटीक रही। बाकी अधिकांश पोल 20% से 60% की सटीकता के बीच ही रहे।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल्स पूरी तरह चूक गए। अधिकांश सर्वे ने कांग्रेस को स्पष्ट बढ़त और भाजपा को 20-25 सीटों के आसपास दिखाया था, जबकि असल नतीजों में भाजपा ने 48 सीटें जीत लीं और कांग्रेस 37 पर सिमट गई।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में टॉप 9 एजेंसियों के एग्जिट पोल 50% से ज्यादा सटीक रहे। 5 एजेंसियों का अनुमान 80% से ज्यादा सही रहा। वहीं, राजधानी में भाजपा की सरकार बनी, लगभग सभी एजेंसियों ने यही अनुमान लगाया था।
जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल्स के अनुमान वास्तविक नतीजों से काफी अलग रहे। अधिकांश एजेंसियों ने भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी बताया था और कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस (इंडिया गठबंधन) को 35-40 सीटों तक सीमित दिखाया था। लेकिन नतीजों में तस्वीर उलट गई और इंडिया गठबंधन ने 49 सीटों पर जीत दर्ज की।
आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल्स का प्रदर्शन लगभग सभी प्रमुख एजेंसियों के लिए गलत साबित हुआ। अधिकांश सर्वे ने सत्तारूढ़ YSR कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत का अनुमान दिया था। वास्तविक नतीजों में TDP+ ने 175 में से 164 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की, जबकि YSRCP केवल 11 सीटों पर सिमट गई।
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ओडिशा विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल्स के अनुमान वास्तविक नतीजों से बिल्कुल उलट साबित हुए। लगभग सभी प्रमुख सर्वे ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (BJD) को स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करते हुए 90-110 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। वास्तविक नतीजों में भाजपा ने 147 में से 78 सीटें जीतकर पहली बार बहुमत हासिल किया।






