
रजौली विधानसभा, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Rajauli Assembly Constituency: प्राकृतिक धरोहर, सांस्कृतिक महत्व और राजनीतिक महत्व के चलते रजौली विधानसभा सीट न सिर्फ नवादा जिले, बल्कि पूरे बिहार की राजनीति में अहम भूमिका निभाती रही है। यह आरक्षित सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए रखी गई है और नवादा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।
2000 के बाद से रजौली विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक मुकाबला राजद और भाजपा के बीच रहा है, लेकिन इस बार यह सीट भाजपा के पास न होकर एनडीए घटक दल लोजपा (रामविलास) के पास है, जिससे मुकाबला जटिल हो गया है।
रजौली अनुमंडल नवादा शहर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और धनार्जय नदी के तट पर फैला हुआ है। यह क्षेत्र छोटे-बड़े पहाड़ियों से घिरा हुआ है और कभी खनिजों के लिए प्रसिद्ध था। धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में नगर के मध्य में स्थित गुरुद्वारा रजौली संगत किला जैसी संरचना में फैला है और चार एकड़ क्षेत्र में स्थित है।
साथ ही साथ रजौली का लोमस ऋषि पर्वत रामायण काल के सप्तऋषियों की साधना स्थली के रूप में विख्यात है। जिले में पर्यटन, पिकनिक और पर्यावरण प्रेमियों के लिए रजौली का फुलवरिया डैम आकर्षण का केंद्र बना रहता है, जिससे जिले को अच्छा राजस्व मिलता है।
रजौली विधानसभा सीट 1951 से अस्तित्व में है और इसका राजनीतिक इतिहास काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। कांग्रेस का शुरुआती वर्चस्व दिखा, लेकिन अब हासिए पर है। अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने शुरुआती दौर में बढ़त बनाई और पहले पांच चुनावों में से चार में जीत दर्ज की। लेकिन 1969 में भारतीय जनसंघ (वर्तमान भाजपा) ने कांग्रेस का वर्चस्व तोड़ दिया। भाजपा ने कुल चार बार जीत हासिल की, जिसमें जनसंघ की जीत भी शामिल है।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी चार बार यहाँ विजय प्राप्त की। स्वतंत्र उम्मीदवारों ने दो बार और जनता पार्टी और जनता दल ने एक-एक बार जीत दर्ज की। रजौली सीट पर राजनीतिक दलों की अदला-बदली 2000 के बाद तेज हुई। राजद ने 2000 और 2005 में जीत दर्ज की। लेकिन 2005 के दोबारा हुए चुनावों में और 2010 में भाजपा विजयी रही। 2015 और 2020 में राजद ने फिर वापसी की, जिससे इस सीट पर लगातार 10 साल से राजद का कब्जा रहा है।
आगामी Bihar Assembly Election 2025 में राजद के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस 10 साल के कब्जे को बरकरार रखने की है। इस बार 11 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। राजद ने पिंकी भारती को उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं लोजपा (रामविलास) गुट से NDA के कंडीडेट विमल राजवंशी को टिकट दिया गया है। वहीं जन सुराज पार्टी ने नरेश चौधरी को मैदान में उतारा है।
रजौली विधानसभा क्षेत्र के चुनाव में जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दों की बड़ी भूमिका रहती है। यह एक एससी आरक्षित सीट होने के कारण दलित मतदाताओं की गोलबंदी निर्णायक होती है। इसके अलावा, यादव और अति-पिछड़ी जातियां भी जीत-हार तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। राजद की पिंकी भारती राजद के पारंपरिक एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण के साथ दलित और पिछड़े वोटों पर निर्भर रहेंगी, जबकि लोजपा (रामविलास) के विमल राजवंशी को एनडीए के सवर्ण और दलित-महादलित वोटों को एकजुट करना होगा।
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रजौली विधानसभा सीट पर Bihar Politics का मुकाबला इस बार काफी कड़ा और दिलचस्प है। 10 साल से राजद के कब्जे को तोड़ने के लिए एनडीए घटक दल लोजपा (रामविलास) को कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। जन सुराज पार्टी की एंट्री से वोटों का बिखराव हो सकता है, जिसका फायदा दोनों मुख्य दलों में से किसी को भी मिल सकता है। जातीय समीकरण, स्थानीय विकास के मुद्दे और उम्मीदवार की व्यक्तिगत लोकप्रियता ही बिहार चुनाव 2025 में रजौली सीट का फैसला करेंगी।






