
बिहार विधानसभा चुनाव 2025, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Nawada Assembly Constituency: बिहार की राजनीति में नवादा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र एक ऐसी सीट है जो हमेशा बदलाव और अप्रत्याशित फैसलों के लिए जानी जाती है। यह नवादा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का एक हिस्सा है और इसकी राजनीतिक मिजाज हमेशा दिलचस्प रहा है। आगामी Bihar Assembly Election 2025 में यह सीट एक बार फिर सुर्खियों में है, क्योंकि यहां राजद (RJD) और जदयू (JDU) दोनों ने दल बदलकर आए उम्मीदवारों पर दांव लगाया है, जिससे यह मुकाबला पूरी तरह से व्यक्तिगत साख की अग्निपरीक्षा बन गया है।
1952 में स्थापित नवादा विधानसभा क्षेत्र में अब तक हुए 19 चुनावों का इतिहास बताता है कि यहां जनता ने अक्सर दलीय निष्ठा के बजाय बदलाव को तवज्जो दी है। शुरुआती दौर में कांग्रेस 6 बार जीत पाई, लेकिन उसे आखिरी जीत 1985 में मिली। इसके बाद 1990 में भाजपा को पहली और आखिरी बार विजय प्राप्त हुई (भारतीय जनसंघ के तौर पर 1962 और 1969 में जीत मिली थी)।
पिछले ढाई दशक में यहां राजद और जदयू के बीच टक्कर रही है, जहां मतदाता ने दोनों दलों को बारी-बारी से मौका दिया।
यह रिकॉर्ड बताता है कि नवादा के मतदाता सत्ता विरोधी लहर और स्थानीय मुद्दों के प्रति बहुत संवेदनशील रहे हैं।
इस बार नवादा सीट पर Bihar Politics का सबसे रोचक दांव खेला गया है, जहां दोनों प्रमुख पार्टियों ने एक-दूसरे के मजबूत नेताओं को अपनी ओर खींच लिया है। 2020 में राजद के टिकट पर जीतने वाली विभा देवी इस बार जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। वहीं, जदयू को उम्मीद है कि विभा देवी की व्यक्तिगत लोकप्रियता और एनडीए का संगठनात्मक बल उन्हें जीत दिलाएगा।
2019 में जदयू प्रत्याशी के तौर पर उपचुनाव जीतने वाले कौशल यादव को इस बार राजद ने अपना उम्मीदवार बनाया है। राजद कौशल यादव की पिछली जीत और पार्टी के पारंपरिक आधार को भुनाने की कोशिश में है। यह मुकाबला अब सीधे तौर पर विभा देवी (जदयू) बनाम कौशल यादव (राजद) के बीच व्यक्तिगत साख का बन गया है।
नवादा में इस बार कुल 12 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिससे वोटों का बिखराव हो सकता है, जिसका फायदा दोनों प्रमुख दलों के दल-बदलू उम्मीदवारों में से किसी एक को मिल सकता है।
राजनीति के अलावा, नवादा अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए भी जाना जाता है। यह खुरी नदी के दोनों किनारों पर बसा है। श्री गुनावां जी तीर्थ नवादा के गोनावां गांव में स्थित है, जो भगवान महावीर के समय का है और जैन मुनि गंधर्व स्वामी को समर्पित है। वहीं, नारदीगंज प्रखंड के हंडिया गांव में स्थित सूर्य नारायण धाम मंदिर काफी प्राचीन है और द्वापर युग से जुड़ा हुआ माना जाता है। नवादा में स्थित बुधौली मठ और 52 कोठी 53 द्वार शिक्षा और धर्म के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में जिले में अपनी खास पहचान रखते हैं।
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नवादा विधानसभा सीट बिहार चुनाव 2025 में एक हाई-स्टेक मुकाबला पेश करने वाली है। यहां की जनता ने हमेशा बदलाव को तवज्जो दी है, जिसका मतलब है कि दल-बदल करने वाले नेताओं के लिए यह चुनाव अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा। जीत उसी नेता को मिलेगी, जो न केवल अपने पारंपरिक जातीय वोट बैंक को साध पाएगा, बल्कि विकास और स्थानीय मुद्दों पर भी जनता का विश्वास जीत पाएगा। 2025 का चुनाव यह फैसला करेगा कि राजद और जदयू में से किसकी दल-बदल की रणनीति सफल होती है।






