बिहार विधानसभा चुनाव 2025, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियों के बीच, लालू प्रसाद यादव के गृह जिले गोपालगंज की बरौली विधानसभा सीट एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। यह सामान्य वर्ग की सीट गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र के तहत आती है और इसका राजनीतिक इतिहास उतार-चढ़ाव भरा रहा है, जहां कांग्रेस के बाद अब भाजपा का दबदबा कायम हुआ है।
भौगोलिक रूप से, बरौली सीट गोपालगंज शहर से लगभग 15 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह बरौली और मांझा प्रखंड के अलावा बैकुंठपुर प्रखंड की कुछ पंचायतों को समेटे हुए है। पश्चिमी गंगा के मैदानी क्षेत्र में होने के कारण, यहां की जलोढ़ मिट्टी कृषि के लिए अत्यंत उपजाऊ है। धान, गेहूं, मक्का और गन्ना यहां की मुख्य फसलें हैं और कृषि ही स्थानीय अर्थव्यवस्था का आधार है। हाल के वर्षों में सड़क और बिजली के बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है, लेकिन स्थानीय स्तर पर युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की कमी अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, जो चुनाव में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है।
बरौली विधानसभा ने अब तक 17 चुनावों का अनुभव किया है। शुरुआती दशकों में कांग्रेस का यहां पर गहरा प्रभुत्व था, जिसने सात बार जीत दर्ज की। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर ने इस सीट का चार बार प्रतिनिधित्व किया। हालांकि, 21वीं सदी की शुरुआत के साथ ही यहां की राजनीतिक हवा बदल गई। वर्ष 2000 से अब तक हुए छह में से पांच चुनावों में भाजपा ने जीत हासिल की, जो इस क्षेत्र में उसकी मजबूत पकड़ को दर्शाता है।
भाजपा के रामप्रवेश राय ने यहां से कई बार जीत दर्ज की। हालांकि, 2015 में राजद के मोहम्मद नेमतुल्लाह ने भाजपा से यह सीट छीन ली, लेकिन यह जीत अल्पकालिक रही। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के रामप्रवेश राय ने राजद के रियाजुल हक उर्फ राजू को 14,155 मतों के अंतर से हराकर सीट पर दमदार वापसी की।
बरौली की राजनीति हमेशा से जातीय समीकरणों पर आधारित रही है, जो हर चुनाव को त्रिकोणीय और कांटेदार मुकाबला बनाते हैं। यहां सवर्ण मतदाता (भूमिहार, ब्राह्मण और राजपूत) निर्णायक भूमिका में होते हैं, जबकि यादव और मुस्लिम मतदाता राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के परंपरागत और मजबूत आधार माने जाते हैं। 2020 के आंकड़ों के अनुसार, यहां कुल 3,00,044 पंजीकृत मतदाता थे। इनमें मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 14.73% (44,218) और अनुसूचित जाति (SC) के मतदाताओं की संख्या 12.22% (36,665) थी।
2024 के आम चुनाव तक कुल मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,14,892 हो गई है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बरौली विधानसभा क्षेत्र से जदयू के डॉ. आलोक कुमार सुमन ने राजद के उम्मीदवार पर 28,763 मतों की अच्छी-खासी बढ़त हासिल की, जो यह संकेत देता है कि यहां की जनता का रुझान फिलहाल एनडीए के पक्ष में मजबूत दिख रहा है।
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2025 के विधानसभा चुनाव में बरौली सीट पर मुख्य मुकाबला फिर से भाजपा और राजद के बीच ही होने की संभावना है। एक तरफ जहां भाजपा अपनी मजबूत पकड़ और 2024 के लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश करेगी, वहीं राजद के लिए यह सीट लालू प्रसाद यादव के गृह जिले में खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस पाने की लड़ाई होगी। राजद को मुस्लिम-यादव समीकरण के साथ-साथ, स्थानीय मुद्दों और कृषि संकट को हवा देकर सवर्ण वोटों में सेंध लगाने की रणनीति पर काम करना होगा। बरौली की जनता का फैसला साफ करेगा कि इस ‘लालू के गढ़’ में कमल का प्रभुत्व कायम रहेगा या राजद फिर से वापसी करेगी।