
बनियापुर विधानसभा सीट (सोर्स- डिजाइन)
Baniyapur Assembly Constituency: बिहार के सारण जिले का बनियापुर विधानसभा क्षेत्र न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध है, बल्कि यह क्षेत्र राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लिए एक मजबूत राजनीतिक किला भी बन चुका है। यह विधानसभा क्षेत्र खासतौर पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर निर्भर करता है, और आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस क्षेत्र के मतदाता निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
बनियापुर, जो महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, 1951 से अस्तित्व में है और अब तक 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। शुरुआत में कांग्रेस पार्टी ने यहाँ सफलता प्राप्त की थी, लेकिन बाद में जनता पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) जैसे दलों ने भी एक-एक बार यहाँ जीत हासिल की। वामपंथी और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) का इस क्षेत्र में अब तक कोई विशेष प्रभाव नहीं रहा है।
पिछले पंद्रह वर्षों में, राजद ने इस सीट पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। राजद के नेता केदार नाथ सिंह ने 2010, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में लगातार जीत हासिल कर इस क्षेत्र को अपनी पार्टी का अभेद्य किला बना दिया है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में, राजद के लिए इस सीट पर अपनी चौथी जीत हासिल करना और पार्टी की मजबूत स्थिति को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
बनियापुर क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत बहुत समृद्ध है, जो यहाँ की जीवनशैली को बखूबी दर्शाती है:
1. अंबा स्थान मंदिर (आमी): यह प्राचीन मंदिर नवरात्रि के दौरान विशेष आकर्षण का केंद्र बन जाता है, जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर का एक खास आकर्षण यह है कि यज्ञ कुंड में चढ़ाया गया जल रहस्यमय रूप से गायब हो जाता है, जो भक्तों को विशेष रूप से आकर्षित करता है।
2. बेरूई शिव मंदिर: महाशिवरात्रि के समय यहाँ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा होती है, जो मंदिर के धार्मिक महत्व को दर्शाता है।
3. बनियापुर मेला: यह मेला लगभग तीन महीने तक चलता है और क्षेत्र की सांस्कृतिक गतिविधियों तथा व्यापारिक जीवन का प्रतीक है। यहाँ विभिन्न व्यापारिक और सांस्कृतिक आयोजनों का आयोजन किया जाता है, जो यहाँ के लोगों की सामाजिक जुड़ाव को बढ़ावा देता है।
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बनियापुर क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, जिसमें धान, गेहूं, मक्का, दालें, गन्ना और विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती की जाती है। हालांकि, यहाँ बड़े उद्योगों की कमी है, लेकिन चावल मिलें, ईंट भट्टे और साप्ताहिक हाट जैसे स्थानीय छोटे रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं।
रोजगार संकट: स्थानीय रोजगार और कृषि आधारित उद्योगों का विकास इस क्षेत्र के मतदाताओं के लिए सबसे प्रमुख चुनावी मुद्दे बने हुए हैं। यहाँ के युवा मतदाता विशेष रूप से कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय विकास के सवालों पर भी जोर दे रहे हैं, क्योंकि क्षेत्र छपरा और दिघवारा जैसे शहरी केंद्रों से जुड़ा हुआ है।
आगामी विधानसभा चुनाव में, राजद को अपनी पारंपरिक यादव-मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट रखने के साथ-साथ कृषि संकट और स्थानीय रोजगार के मुद्दों पर ठोस समाधान प्रस्तुत करना होगा। यह सुनिश्चित करना कि क्षेत्र में विकास हो और रोजगार के अवसर बढ़ें, आगामी चुनाव में राजद के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।






