Rolls-Royce को इस तरह से आप भी ले सकते है। (सौ. Freepik)
दुबई: दुनिया भर में जहां लग्जरी कारें करोड़ों की कीमत पर बिकती हैं, वहीं संयुक्त अरब अमीरात के शहर दुबई में यह गाड़ियां आम नज़ारा बन चुकी हैं। यहां रोल्स-रॉयस, लैम्बोर्गिनी, फेरारी, पोर्श और बेंटले जैसी कारें सड़कों पर लावारिस खड़ी मिल जाती हैं। भारत जैसे देशों में ये कारें किसी सपने से कम नहीं होतीं, लेकिन दुबई में इन्हें यूं ही छोड़ दिया जाता है। इसके पीछे की कहानी जितनी चौंकाने वाली है, उतनी ही दिलचस्प भी।
इस अजीबो-गरीब ट्रेंड की सबसे बड़ी वजह आर्थिक तंगी (फाइनेंशियल क्राइसिस) है। दुबई में कई लोग बेहतर करियर और हाई सैलरी पैकेज की उम्मीद में आते हैं। शुरुआती सफलता के जोश में कुछ लोग महंगी सुपरकारें फाइनेंस पर खरीद लेते हैं, लेकिन जब समय पर किश्तें नहीं चुका पाते, तो उन्हें कर्ज में डूबने का डर सताने लगता है।
दुबई में लागू शरिया कानून के तहत कर्ज न चुकाने पर कड़ी सजा दी जाती है। इसलिए जेल जाने के डर से लोग अपनी महंगी कारों को वहीं छोड़कर देश छोड़कर भाग जाते हैं। इनमें कई विदेशी नागरिक भी शामिल होते हैं। छोड़ी गई गाड़ियों में से अधिकांश रजिस्ट्रेशन रहित या बाउंस चेक की स्थिति में होती हैं।
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जी हां, इन लावारिस सुपरकारों को खरीदा जा सकता है, लेकिन इसके लिए लीगल प्रोसेस से गुजरना होता है। दुबई पुलिस इन कारों को नीलामी के ज़रिए बेचती है, जिसे ‘स्पेशल सुपरकार पुलिस सेल’ कहा जाता है। इच्छुक खरीदार सीधे डीलर से संपर्क कर अपनी पसंद की गाड़ी पर बोली लगा सकते हैं।
यह ट्रेंड दुबई में 2009 की आर्थिक मंदी के बाद शुरू हुआ था, जब हजारों लोग अचानक नौकरी और आय के स्रोत खो बैठे। तब से लेकर आज तक यह चलन थमा नहीं है।