Ev को लेकर क्या कुछ है नया। (सौ. Pixabay)
Electric Vehicles India: भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की मांग तेजी से बढ़ रही है। TATA.ev की इंडिया चार्जिंग रिपोर्ट 2025 के मुताबिक, अब 84% लोग इलेक्ट्रिक वाहन का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह आंकड़ा 2023 में केवल 74% था, यानी दो साल में 10% से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। रिपोर्ट साफ दिखाती है कि EV अब धीरे-धीरे भारतीय सड़कों पर मुख्यधारा का हिस्सा बन चुके हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, औसतन एक EV मालिक हर महीने लगभग 1,600 किलोमीटर गाड़ी चलाता है। यह दूरी पारंपरिक पेट्रोल-इंजन वाहनों की तुलना में करीब 40% ज्यादा है। इसका सीधा संकेत है कि लोग अब तकनीक और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर दोनों पर भरोसा जता रहे हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों की लो-रनिंग कॉस्ट और तेजी से बढ़ते चार्जिंग नेटवर्क ने ग्राहकों का भरोसा मजबूत किया है। EV मालिक अपनी गाड़ियां औसतन 27 दिन महीने में चलाते हैं, जो ICE यानी पेट्रोल-डीजल गाड़ियों से 35% अधिक है। खास बात यह है कि अब ईवी भारत के 95% सड़क नेटवर्क पर चल रही हैं। इसका मतलब है कि ये केवल शहरी ही नहीं बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी लोकप्रिय हो रही हैं।
ईवी अपनाने की सबसे बड़ी चुनौती हमेशा चार्जिंग ढांचे की रही है। रिपोर्ट बताती है कि 2023 के बाद से पब्लिक चार्जिंग पॉइंट्स की संख्या चार गुना बढ़कर 24,000 हो चुकी है। नेशनल हाइवे पर अब 91% हिस्सों में हर 50 किलोमीटर पर एक फास्ट चार्जर मौजूद है। कर्नाटक, केरल और पंजाब जैसे राज्य तो 100% कवरेज हासिल कर चुके हैं।
हालांकि तस्वीर पूरी तरह परफेक्ट नहीं है। फरवरी 2024 तक लगाए गए 25,000 पब्लिक चार्जर्स में से करीब 12,000 नॉन-फंक्शनल पाए गए। इसके अलावा, अलग-अलग ऐप्स और पेमेंट सिस्टम की वजह से यूजर्स को चार्जिंग लोकेट करने और भुगतान करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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रिपोर्ट के अनुसार, अब 36% ग्राहक फास्ट चार्जिंग को लग्जरी नहीं बल्कि जरूरत मानते हैं। 2025 में 35% TATA.ev मालिक हर महीने कम से कम एक बार फास्ट चार्जर का उपयोग करते हैं, जबकि 2023 में यह आंकड़ा केवल 21% था।
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की स्वीकार्यता लगातार बढ़ रही है। कम खर्च, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी भरोसे ने ईवी को शहरी से लेकर ग्रामीण भारत तक पहुंचा दिया है। हालांकि चार्जिंग सुविधाओं में सुधार और पेमेंट सिस्टम को सरल बनाना अब भी जरूरी है।