
एम्बेसडर कार (प्रोफाइल फोटो)
नई दिल्ली: आज की पीढ़ी एम्बेसडर कार को नहीं पहचानती है। एक वक्त आइकन रही ये कार रॉयल स्टेट्स की निशानी थी। एक जमाने में लोग एम्बेसडर के कार के फैन हुआ करते थे। कार से नेताओ को पहचाना जाता था। लगभग हर नेता के पास एम्बेसडर हुआ करती थी। आजकल नेता अलग-अलग कार रखते हैं लेकिन एक वक्त सभी के पास एम्बेसडर हुआ करती थी।
साल 1957 से 2014 के बीच ये कार मार्केट में मौजूद थी। कार की प्रडोक्शन हिन्दुस्तान मोटर्स कंपनी कर रही थी। लेकिन वक्त के साथ नई तकनीक प्रयोग न करने और अपडेट मॉडल ना लाने की वजह से इसकी बिक्री में काफी गिरावट आई। इसकी वजह से कंपनी दोबारा इसका प्रोडक्शन करना चाहती है। कंपनी कार को आज के समय के इस्तेमाल के लिए बनाना चाहती है। एम्बेसडर कार एक बार फिर मार्केट में आने के लिए तैयार हो रही है। जानकारी के मुताबिक इस पर काम चल रहा है। इस बार कार अपडेटड नए फीचर के साथ नजर आएगी।
एम्बेसडर कार की कंपनी ने पहले ही मार्केट में अपनी जगह बनानी शुरू कर दी। कंपनी अपने कई कार प्रोडक्ट ला चुकी है। नई कार को लेकर अलग-अलग अंदाजा लगाया जा रहा है। उसके लुक फीचर पर अभी कुछ स्पष्ट नहीं है लेकिन सोशल मीडिया पर एम्बेसडर के नाम से कई फोटो जरूर नजर आए है। ऐसा लगता है कंपनी एम्बेसडर को एक बार फिर कार लवर्स के दिल में अपनी जगह बनाने के लिए तैयार कर रही है। जानकारी मिल रही है कि कार को नए फीचर और बेहतरीन लुक देने के लिए हिंदुस्तान मोटर्स कंपनी तेजी से काम कर रही है। कंपनी एम्बेसडर को मार्केट में लाने के लिए काफी कोशिशें कर रही है।
सोशल मीडिया पर वायरल फोटो
हालांकि कंपनी की तरफ से कार लॉन्च कर लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। सुनने में आया है कि नई एम्बेसडर को आज के समय की जरूरत के मुताबिक EV वैरिएंट में लाया जा सकता है। खैर ये तो बाद में ही पता चलेगा कि नई एम्बसेडर मार्केट में अपनी क्या पहचान बनाती है। वो अपने पीक टाइम के जैसे बाजार की रौनक बनती है या नहीं।
एंबेसेडर कार मॉरिस ऑक्सफ़ोर्ड सीरीज़ III मॉडल पर आधारित थी, जिसे पहली बार 1956 से 1959 तक यूनाइटेड किंगडम में काउली, ऑक्सफ़ोर्ड में मॉरिस मोटर्स लिमिटेड द्वारा बनाया गया था। ब्रिटिश मूल के बावजूद एम्बेसडर को भारतीय कार माना जाता था। इसे प्यार से “भारतीय सड़कों का राजा” कहा जाता था। इस ऑटोमोबाइल का निर्माण हिंदुस्तान मोटर्स द्वारा कोलकाता, पश्चिम बंगाल के पास अपने उत्तरपारा संयंत्र में किया गया जाता था।






