इस साल भी नहीं थमी जंग, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
World War Deaths News In Hindi: दुनिया को उम्मीद थी कि नया साल जंग और तबाही से राहत लेकर आएगा लेकिन 2025 भी खून-खराबे और तबाही का साल बनकर उभरा। रूस-यूक्रेन संघर्ष तीसरे वर्ष में पहुंच चुका है और इसके साथ ही मिडिल ईस्ट, अफ्रीका और एशिया के कई हिस्सों में जारी झड़पों ने लाखों बेगुनाह जिंदगियों को निगल लिया है।
फरवरी 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध 2025 में भी पूरी भारी तबाही के साथ जारी रहा। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की रिपोर्टों के अनुसार, इस संघर्ष में अब तक पांच लाख से ज्यादा लोग मारे गए या गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इसमें बड़ी संख्या में सैनिकों के साथ-साथ आम नागरिक भी शामिल हैं। यूक्रेन के कई शहर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं और लाखों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। रूस पर लगाए गए आर्थिक और सैन्य प्रतिबंधों के बावजूद हालात में कोई खास सुधार नजर नहीं आ रहा है।
यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिणी इलाके डोनेट्स्क, लुहांस्क, ज़ापोरिज़िया और खेरसॉन में सबसे ज्यादा तबाही देखी गई। यहां लगातार मिसाइल हमले, ड्रोन स्ट्राइक और भारी गोलाबारी ने हालात को और बदतर बना दिया है। यूक्रेनी प्रशासन के अनुसार, सिर्फ इसी साल हजारों सैनिक मारे गए हैं, जबकि कई जवान घायल या लापता बताए जा रहे हैं।
वही, राजधानी कीव, खारकीव और ओडेसा जैसे बड़े शहर भी हमलों से अछूते नहीं रहे। आम नागरिक डर और अनिश्चितता के बीच जीवन जीने को मजबूर हैं। स्कूल, अस्पताल और बाजार जैसे आम ठिकाने भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं। लाखों लोग या तो अपने ही देश में विस्थापित हैं या पड़ोसी देशों में शरण ले चुके हैं।
मिडिल ईस्ट में इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष ने हालात को और भयावह बना दिया है। गाजा पट्टी में लगातार हो रहे हवाई और जमीनी हमलों में अब तक 62 हजार से अधिक लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है। इस संघर्ष का सबसे बड़ा खामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है, जिनमें महिलाओं और बच्चों की संख्या काफी अधिक है।
गाजा तबाही की फोटो
कई अस्पताल, स्कूल और रिहायशी इलाके हमलों की चपेट में आ चुके हैं। इसके साथ ही गाजा में भोजन, दवाइयों और जरूरी सुविधाओं की भारी कमी ने हालात को गंभीर मानवीय संकट में बदल दिया है। भुखमरी और इलाज के अभाव ने संकट की भयावहता को और बढ़ा दिया है।
सीरिया और यमन जैसे देशों में पहले से जारी गृहयुद्ध भी थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। यहां लगातार हिंसा, भुखमरी और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी ने आम लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
अफ्रीका के कई हिस्सों में भी हालात चिंताजनक बने हुए हैं। सूडान, कांगो और साहेल क्षेत्र में सशस्त्र गुटों और सरकारी बलों के बीच संघर्ष ने हजारों लोगों की जान ले ली है। जातीय तनाव, सत्ता की लड़ाई और संसाधनों को लेकर टकराव ने हालात को और विस्फोटक बना दिया है।
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संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों के आकलन के अनुसार, 2025 में अब तक जारी युद्धों और हिंसक संघर्षों में लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि करोड़ों लोग विस्थापन और गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहे हैं। युद्धविराम, शांति वार्ताओं और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद फिलहाल संघर्ष रुकने की कोई ठोस उम्मीद नजर नहीं आ रही है।