दुनिया में इस समय परमाणु युद्ध का खतरा, फोटो ( सो. सोशल मीडिया)
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: दुनिया में इस समय परमाणु युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। पश्चिमी देशों को आशंका है कि रूस यूक्रेन के बाद किसी और देश पर हमला कर सकता है, जिससे वैश्विक स्तर पर परमाणु युद्ध छिड़ने की संभावना बढ़ जाती है। पहले भी यूक्रेन पर रूसी परमाणु हमले की चेतावनी दी गई थी। अब परमाणु युद्ध मामलों की विशेषज्ञ और खोजी पत्रकार एनी जैकबसन ने चेतावनी दी है कि अगर ऐसा युद्ध शुरू होता है, तो महज एक घंटे से भी कम समय में करीब 5 अरब लोग मारे जा सकते हैं। उनका मानना है कि इस तबाही से केवल दो देशों के बचने की संभावना है न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया।
एनी जैकबसन ने एक पॉडकास्ट में दिए इंटरव्यू में परमाणु हमले की विनाशकारी टाइमलाइन को साझा किया। उन्होंने बताया, “रूस के लॉन्चपैड से अमेरिका के पूर्वी तट तक बैलिस्टिक मिसाइल पहुंचने में सिर्फ 26 मिनट और 40 सेकंड लगते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि यह आंकड़ा 1959-60 में वैज्ञानिक हर्ब यॉर्क ने पहली बार सामने रखा था और आज भी यह उतना ही सटीक है।
जैकबसन, जो 2016 में पेंटागन की शोध संस्था DARPA पर अपने खोजी कार्य के लिए पुलित्जर पुरस्कार की फाइनलिस्ट रही थीं, ने कहा कि अगर दुनिया में कोई बड़ा परिवर्तन होता है, तो मानवता के पास प्रतिक्रिया देने के लिए 90 मिनट से भी कम समय होगा। उन्होंने यह भी बताया कि परमाणु युद्ध की डरावनी सच्चाइयों में से एक यह है कि यदि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल शुरू होता है, तो जिन देशों को निशाना बनाया जाएगा, उन्हें यह मालूम होगा कि उनके पास बचाव या प्रतिक्रिया के लिए कितना कम समय है।
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जैकबसन ने कहा कि अगर अमेरिका पर हमला होता है, तो राष्ट्रपति के पास जवाबी हमले का फैसला लेने के लिए सिर्फ छह मिनट होते हैं। इस दौरान उन्हें “ब्लैक बुक” नाम की एक गोपनीय किताब दी जाती है, जिसमें संभावित जवाबी हमलों के विकल्प दिए गए होते हैं। राष्ट्रपति को उसी समय इस किताब में से एक विकल्प चुनकर तुरंत निर्णय लेना होता है।
विस्फोट के बाद तबाही वहीं नहीं रुकेगी। जैकबसन ने वायुमंडलीय विज्ञान के विशेषज्ञ प्रोफेसर ब्रायन टून के अध्ययन का उल्लेख किया, जिन्होंने चेतावनी दी थी कि इससे वैश्विक जलवायु को गंभीर और विनाशकारी नुकसान पहुँचेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया के अधिकांश क्षेत्र, खासकर मध्य अक्षांश वाले इलाके, मोटी बर्फ की परतों से ढक जाएंगे। आयोवा और यूक्रेन जैसे स्थानों में अगले दस वर्षों तक केवल बर्फ ही होगी। उनका कहना था कि ऐसी स्थिति में कृषि पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी, और जब खेती नहीं बचेगी, तो इंसानों का जीवित रहना भी मुश्किल हो जाएगा।
“उन्होंने कहा कि सूरज की रोशनी इतनी खतरनाक हो जाएगी कि वह जानलेवा बन सकती है। ओजोन परत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाएगी, जिससे बाहर निकलना भी सुरक्षित नहीं रहेगा क्योंकि विकिरण से गंभीर बीमारी हो सकती है। ऐसे हालात में लोग ज़मीन के नीचे रहने को मजबूर हो जाएंगे और भोजन की भारी कमी के कारण न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर बाकी जगहों पर लोग ज़िंदा रहने के लिए संघर्ष करेंगे।”