सूडान गृहयुद्ध में स्वास्थ्य केंद्रों पर हमलों से 1600 से ज्यादा लोगों की मौत (सोर्स- सोशल मीडिया)
Sudan Health Facilities Attacks: सूडान में जारी भीषण गृहयुद्ध के बीच स्वास्थ्य सेवाओं पर हमलों ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इस साल अब तक चिकित्सा केंद्रों पर हुए हमलों में 1600 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यह आंकड़ा उस भयावह स्थिति को दर्शाता है जहां अस्पतालों को भी युद्ध का मैदान बना दिया गया है। इन हमलों के कारण देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है और लाखों लोग बुनियादी इलाज के लिए तरस रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस एडहानोम घेब्रेयेसुस ने बुधवार को इन चौंकाने वाले आंकड़ों की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि जनवरी 2025 से अब तक स्वास्थ्य केंद्रों पर कम से कम 65 बड़े हमलों का दस्तावेजीकरण किया गया है।
इन हमलों में न केवल मरीज बल्कि डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी भी सीधे तौर पर निशाना बने हैं। हालिया हमला रविवार को दक्षिण कोर्डोफान प्रांत की राजधानी दिलिंग में एक सैन्य अस्पताल पर हुआ, जहां ड्रोन हमले में नौ लोगों की जान चली गई और 17 अन्य घायल हो गए।
सूडान के संघर्ष में पैरामिलिटरी रैपिड सपोर्ट फोर्सेस (RSF) और सूडानी सेना के बीच बढ़ती लड़ाई का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। सूडान डॉक्टर्स नेटवर्क ने दिलिंग अस्पताल पर हुए हमले के लिए सीधे तौर पर आरएसएफ को जिम्मेदार ठहराया है।
इससे पहले अक्टूबर में दारफुर के अल-फाशेर शहर में स्थित सऊदी अस्पताल पर भी भीषण हमला किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, बंदूकधारियों ने अस्पताल परिसर के भीतर घुसकर लगभग 460 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी और कई डॉक्टरों व नर्सों का अपहरण कर लिया।
सूडान में अप्रैल 2023 से शुरू हुआ यह सत्ता संघर्ष अब अपने तीसरे साल में प्रवेश कर चुका है। संयुक्त राष्ट्र के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अब तक 40,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, हालांकि जमीन पर काम कर रहे सहायता समूहों का मानना है कि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।
इस युद्ध ने दुनिया का सबसे बड़ा विस्थापन संकट पैदा कर दिया है, जिसमें 1.4 करोड़ से अधिक लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। देश के कई हिस्सों में अकाल और संक्रामक बीमारियों ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है।
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WHO प्रमुख ने चेतावनी दी है कि चिकित्सा केंद्रों पर होने वाला हर हमला हजारों लोगों को जरूरी दवाओं और सेवाओं से वंचित कर रहा है। युद्धग्रस्त क्षेत्रों में अस्पतालों के नष्ट होने से घायलों का इलाज करना लगभग असंभव हो गया है।
बच्चों और बुजुर्गों के लिए जीवन रक्षक दवाओं की भारी कमी हो गई है। सूडान में चिकित्सा सुविधाओं को निशाना बनाना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का खुला उल्लंघन है, लेकिन इसके बावजूद हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।