यमन के एक दूरस्थ द्वीप हवाई पट्टी, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: यमन के एक दूरस्थ द्वीप पर बनाई जा रही एक रहस्यमयी हवाई पट्टी का निर्माण अपने अंतिम चरण में है। हाल ही में प्राप्त सैटेलाइट तस्वीरों से इस बात का खुलासा हुआ है। यह हवाई पट्टी यमन में विकसित की जा रही कई अन्य हवाई पट्टियों में से एक है, जो लंबे समय से विवादों में घिरी हुई हैं। यह विशेष हवाई पट्टी अब्द अल-कुरी नामक निर्जन द्वीप पर बनाई जा रही है, जो अदन की खाड़ी के प्रवेश द्वार पर स्थित है। इसका रणनीतिक महत्व काफी अधिक है, क्योंकि यह वैश्विक नौवहन मार्गों की निगरानी करने वाले सैन्य जहाजों और ड्रोन के लिए एक अहम लैंडिंग स्थल बन सकता है।
यह हवाई पट्टी वाणिज्यिक शिपिंग के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, खासकर लाल सागर और खाड़ी के रास्ते। यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के हमलों के चलते इस मार्ग पर व्यापारिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। इस क्षेत्र में विद्रोहियों को ईरान से हथियारों की तस्करी किए जाने की घटनाएं भी देखी गई हैं। यह जलमार्ग स्वेज नहर के जरिए भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ता है, जिससे यूरोप और एशिया के बीच समुद्री व्यापार को सुगम बनाया जा सकता है।
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संभावना है कि यह रनवे संयुक्त अरब अमीरात द्वारा निर्मित किया गया है, जिस पर लंबे समय से इस क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने के आरोप लगते रहे हैं। संयुक्त अरब अमीरात ने यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ सऊदी अरब के नेतृत्व वाले युद्ध का समर्थन किया है। इसी बीच, गाजा पट्टी में इजरायल और हमास के बीच हुए संघर्ष के चलते हूतियों ने लाल सागर से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों पर लगातार हमले किए हैं।
हाल ही में इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम हुआ है, लेकिन विशेषज्ञों को आशंका है कि यह समझौता लाल सागर में जारी विद्रोही गतिविधियों को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।
सैटेलाइट इमेजरी से पता चला है कि अब्द अल-कुरी द्वीप पर एक नई हवाई पट्टी का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। प्लैनेट लैब्स पीबीसी द्वारा 7 जनवरी को ली गई तस्वीरों में देखा गया कि रनवे पर ट्रक और अन्य भारी मशीनें काम कर रही हैं।
यह उत्तर-दक्षिण दिशा में फैला हुआ रनवे लगभग 35 किलोमीटर (21 मील) लंबा और अधिकतम 5 किलोमीटर (3 मील) चौड़ा है। हवाई पट्टी को पक्का कर दिया गया है और इसके दोनों सिरों पर “18” और “36” अंकित किए गए हैं।
हालांकि, 7 जनवरी तक रनवे का 2.4 किलोमीटर (1.5 मील) लंबा हिस्सा अधूरा था, जिसमें 290 मीटर (950 फीट) क्षेत्र पर अभी भी काम चल रहा था। इस क्षेत्र में ट्रकों को डामर बिछाते और ग्रेडिंग का कार्य करते देखा गया।
जोखिम सलाहकार फर्म के यमन विशेषज्ञ मोहम्मद अल-बाशा के अनुसार, निर्माण कार्य पूरा होने के बाद रनवे की लंबाई इतनी होगी कि निजी जेट और अन्य विमान वहां उतर सकें। हालांकि, इसकी सीमित लंबाई के कारण सबसे बड़े वाणिज्यिक विमान या भारी बमवर्षक विमानों के लिए यह उपयुक्त नहीं होगा।