पीएम मोदी का कुवैत दौरा
नई दिल्ली/कुवैत सिटी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुवैत का दो दिवसीय दौरा पूरा कर रविवार को वापस नई दिल्ली आ गए। उनको विदा करने कुवैत के प्रधानमंत्री अहमद अब्दुल्लाह अल-अहमद अल-सबाह एयरपोर्ट आए थे। पीएम मोदी भले से दौरो पूरा करके भारत आ गए, लेकिन इसकी चर्चा अभी भी दोनों देशों में जारी है।
पीएम मोदी ने इस दौरे को ऐतिहासिक बताया है। कहा है कि दोनों देश अब रणनीतिक साझेदार बन गए हैं। पीएम मोदी के कुवैत दौरे को अरब देशों के मीडिया में भी काफी अहमियत मिल रही है।
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नरेंद्र मोदी का कुवैत दौरा किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का 43 साल बाद हुआ। इससे पहले 1981 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी गई थीं। कुवैत की कुल 43 लाख की आबादी में 10 लाख से ज्यादा भारतीय हैं। यहां के कुल श्रमिकों में 30 प्रतिशत भारतीय हैं। कहा जा रहा है कि पीएम मोदी के दौरे से दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में और गति आएगी।
आइये एक नजर डालते हैं पीएम मोदी के कुवैत दौरे को लेकर अरब के मीडिया में कैसी चर्चा है…
कुवैत नेशनल कमिटी फॉर द इंप्लीमेंटेशन ऑफ एजेंडा 2030 के अध्यक्ष डॉ खालिद ए मेहदी ने पीएम मोदी के दौरे को लेकर कुवैत टाइम्स में एक लेख लिखा है। उन्होंने कहा कि 2023-2024 में दोनों देशों के बीच व्यापार 10.479 अरब डॉलर का रहा। भारत का कुवैत में निर्यात 2.1 अरब डॉलर का रहा। इसमें सालाना 34.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2022 में तो भारत ने कुवैत से 15 अरब डॉलर के कच्चे तेल, गैस और पेट्रोकेमिकल उत्पाद के आयात किए थे।
इन सेक्टर्स में भारतीयों का कुवैत में दबदबा
डॉ मेहदी ने लिखा कि दोनों देशों के बीच संबंध कारोबार तक ही सीमित नहीं है। बल्कि कुवैत में 10 लाख से ज्यादा भारतीय रहते हैं। यह गैर अरब प्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या है। कुवैत में भारत के न केवल मजदूर हैं। बल्कि बड़ी संख्या में इंजीनियर और फाइनैंस सेक्टर के प्रोफेशनल भी हैं। 20वीं सदी में बॉम्बे कुवैतियों के लिए एक अहम बिजनेस सेंटर था। कुवैत के लोगों का बॉम्बे में घर और कंपनी होना बहुत पुरानी बात है।
पीएम मोदी के कुवैत दौर से विदेश नीति को मिला नया आकार
डॉ हाइला अल-मेकाइमी जो कि कुवैत यूनिवर्सिटी में राजनीतिक विज्ञान की प्रोफेसर हैं। उन्होंने कुवैत टाइम्स में मोदी के दौरे पर लिखा है कि 2014 में भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने विदेश नीति को नया आकार दिया। खाड़ी के देश भारत के विस्तृत पड़ोसी हैं और पीएम मोदी ने यहां खासा ध्यान दिया।
मोदी ने खाड़ी के देशों के दौरे को दिया पर्सनल टच
जीसीसी का कुवैत आखिरी देश है। जहां पीएम मोदी ने दौरा किया है। इससे पहले वह जीसीसी के बाकी पांच देशों का दौरा कर चुके हैं। गल्फ से भारत के ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। भारत से गल्फ का संबंध ऊर्जा, ट्रेड और प्रवासियों से आगे बढ़कर रक्षा, निवेश और राजनीति तक पहुंच गया है। डॉ हाइला ने लिखा है कि मोदी ने खाड़ी के देशों के दौरे को हमेशा पर्सनल टच दिया है। उदाहरण के तौर पर 2015 में यूएई के शासक के साथ मोटर ड्राइव करना।
जीसीसी के देशों में 90 लाख से ज्यादा रहते हैं भारतीय
जीसीसी के देशों में 90 लाख से ज्यादा भारतीय रहते हैं। जीसीसी ही भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है। कोविड महामारी के दौरान पीएम मोदी ने कुवैत में भारत से मेडिकल टीम और आपूर्ति भेजी थी। ऐसी पहल पारंपरिक साझेदारी से आगे की होती है। कुवैत के एक और अंग्रेजी अखबार टाइम्स कुवैत ने लिखा है, भारत के कुल वैश्विक व्यापार में जीसीसी देशों की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत है। 2022-23 में भारत का जीसीसी देशों के साथ 184 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था।
कुवैत और भारत के बीच पुरातन काल से व्यापार
पीएम मोदी ने कुवैत न्यूज एजेंसी कुना को दिए इंटरव्यू में दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों को रेखांकित किया है। उन्होंने ने कुना की फातमा अल-सालेम से कहा कि कुवैत और भारत के बीच व्यापार पुरातन काल से ही है। फाइलका द्वीप की खोज हमारे साझे अतीत का सबूत है। करीब एक सदी से ज्यादा 1961 तक भारतीय रुपया कुवैत में एक वैध मुद्रा थी। इसी से पता चलता है कि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध कितना गहरा था।
गठबंधन की सरकार ने नहीं की थी निंदा
अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ सी राजामोहन ने भारत के अंग्रेजी समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस में मोदी के कुवैत दौरे से ठीक पहले लिखा था कि जब इराकी नेता सद्दाम हुसैन ने अगस्त 1990 में कुवैत पर हमला किया तो भारत में गठबंधन की सरकार थी और किसी तरह से चल रही थी। भारत ने सद्दाम हुसैन के हमले की निंदा तक नहीं की थी। जबकि यह तथ्य किसी से छुपा नहीं था कि सद्दाम हुसैन कुवैत को मध्य-पूर्व के नक्शे से एक संप्रभु देश के रूप में मिटा देना चाहते थे।