
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (सोर्स-सोशल मीडिया)
Putin Rise to Power: व्लादिमीर पुतिन, जिनकी गिनती आज दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं में होती है, उनका बचपन घोर संघर्ष और अभावों में बीता है। लेनिनग्राद की जर्जर इमारतों में, युद्ध के बाद के कठिन हालातों ने उनके व्यक्तित्व को आकार दिया। उनकी जिंदगी की एक अनसुनी कहानी यह बताती है कि कैसे एक छोटे से चूहे ने उन्हें जीवन का सबसे बड़ा और निर्णायक सबक दिया, जो उन्हें शिखर तक ले गया।
1960 के दशक में, युवा पुतिन अपने माता-पिता के साथ एक जर्जर इमारत में रहते थे जहां मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव था। अपने घर की 5वीं मंजिल तक पहुंचने के लिए, उन्हें हर दिन चूहों भरे रास्ते से गुजरना पड़ता था। एक दिन, उनके रास्ते में एक बड़ा चूहा आ गया। जब पुतिन ने छड़ी लेकर उसे भगाना चाहा, तो वह चूहा भागते-भागते एक कोने में फंस गया जहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं था। फंस जाने पर, चूहा पलटा और निडर होकर बच्चे पुतिन पर ही झपट पड़ा। पुतिन डरकर भाग निकले, लेकिन इस घटना ने उनके मन पर गहरा असर डाला। उन्हें सबक मिला कि जब बचने का कोई रास्ता न हो, तो पलटकर हमला कर देना चाहिए। यह सबक उनके भविष्य की रणनीति और दृढ़ता का आधार बना।
पुतिन का जन्म 7 अक्टूबर 1952 को लेनिनग्राद (अब सेंट पीटर्सबर्ग) में हुआ। उनके पिता, व्लादिमीर स्पिरिडोनोविच पुतिन, सोवियत नौसेना में थे और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान घायल हुए थे, जिसके बाद उन्होंने ट्रेन कारखाने में काम किया। माँ, मारिया, एक फैक्ट्री वर्कर थीं। पुतिन अपने माता-पिता की तीसरी संतान थे, उनके दो बड़े भाइयों की मृत्यु बचपन में बीमारी और युद्ध के कारण हुई भुखमरी से हो गई थी। इन कठिन पारिवारिक और आर्थिक परिस्थितियों ने पुतिन को कम उम्र में ही जीवन की कठोरता से परिचित करा दिया।
बचपन में दब्बू माने जाने वाले पुतिन की जब पड़ोस के ताकतवर बच्चों से लड़ाई हुई और वह हार गए, तो उन्होंने खुद को मजबूत बनाने का फैसला किया। उन्होंने जूडो सीखना शुरू किया और जल्द ही उनकी रग-रग में स्ट्रीट फाइटिंग और लड़ाई-झगड़ा बस गया। मार्शल आर्ट में उनकी रुचि इतनी बढ़ी कि 18 साल की उम्र तक उन्होंने ब्लैक बेल्ट हासिल कर ली। इस खेल ने उन्हें अनुशासन, आत्म-रक्षा और प्रतिद्वंद्वी पर हावी होने की कला सिखाई।
बचपन से ही जासूसी नॉवेल पढ़ने का शौक रखने वाले पुतिन रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी (KGB) में शामिल होना चाहते थे। अपने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी की और 1975 में केजीबी में शामिल हो गए। वह 1991 में सोवियत संघ के टूटने तक लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर रहे। सोवियत संघ के पतन के बाद आए आर्थिक संकट के दौर में, पुतिन को अपनी आजीविका चलाने के लिए अतिरिक्त आमदनी के लिए टैक्सी ड्राइवर के रूप में भी काम करना पड़ा था।
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1990 के दशक की शुरुआत में, पुतिन ने लेनिनग्राद के मेयर के कार्यालय में काम शुरू किया और डिप्टी मेयर तक बने। 1996 में, वह मॉस्को चले गए और तत्कालीन राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के प्रशासन में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। 1999 में, वह कार्यवाहक राष्ट्रपति बने और मार्च 2000 के चुनाव में औपचारिक रूप से राष्ट्रपति चुने गए। बीच में 2008 से 2012 तक वह प्रधानमंत्री भी रहे। टैक्सी की स्टीयरिंग से लेकर क्रेमलिन की सत्ता की ऊंचाइयों तक पुतिन का यह सफर उनकी कठोर अनुशासन, मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और रणनीतिक मानसिकता का प्रतीक है।






