अमेरिका ने ईरान हमले में अपने मिसाइल स्टॉक का 25% इस्तेमाल किया (फोटो- सोशल मीडिया)
Iran America Conflict: ईरान और इजराइल के बीच 12 दिनों तक चले हालिया युद्ध ने अमेरिका को भारी नुकसान पहुंचाया है। इस संघर्ष के दौरान अमेरिका ने अपने टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) मिसाइल इंटरसेप्टर्स का लगभग 25% स्टॉक इस्तेमाल कर लिया। ये इंटरसेप्टर्स इजराइल की रक्षा के लिए ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने में लगाए गए थे। सीएनएन ने अपनी रिपोर्ट में यह जानाकारी दी।
सीएनएन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि, अमेरिका ने इस युद्ध के दौरान ईरान पर करीब 100 से 150 THAAD इंटरसेप्टर्स दागे। चिंता की बात यह है कि 2024 में अमेरिकी रक्षा कंपनियों ने केवल 11 नए इंटरसेप्टर्स तैयार किए हैं, जबकि 2025 में महज 12 और खरीदने की योजना है। 2026 तक यह संख्या केवल 37 तक पहुंचने की उम्मीद है।
अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) का 2026 के बजट में मिसाइल सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखला पर जोर है। पेंटागन ने अपने बजट में 1.3 अरब डॉलर आपूर्ति श्रृंखला सुधार और 2.5 अरब डॉलर मिसाइल उत्पादन पर खर्च करने का फैसला किया है। यह कदम ईरान और रूस द्वारा हाल ही में किए गए हमलों के बाद उठाया गया है, जिसने अमेरिका को यह एहसास दिलाया है कि उसकी मौजूदा एयर डिफेंस प्रणाली आक्रामक परिस्थितियों से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा संघर्षों में मिसाइलों की खपत दर, उत्पादन की रफ्तार से कहीं अधिक है, जिससे अमेरिका की मिसाइल रक्षा प्रणाली के भंडार खतरनाक रूप से कम हो गए हैं। यह स्थिति भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है।
ईरान के साथ 12 दिनों तक चले हालिया संघर्ष में उसने 500 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इनमें से केवल 86% को ही इंटरसेप्ट किया जा सका। अमेरिका की THAAD प्रणाली और इजराइल की एरो सिस्टम ने मिलकर कुल 201 मिसाइलें रोकीं (जो कुल मिसाइलों का 35% थीं), जिनमें से 57 मिसाइलें आबादी वाले इलाकों को निशाना बना रही थीं।
ये भी पढ़ें: PAK में इंसानियत शर्मसार, सेना ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर की फायरिंग, 7 की मौत
विशेषज्ञ मानते हैं कि THAAD जैसे संसाधन की उपलब्धता सीमित है, और लगातार संघर्षों में इसका बार-बार उपयोग अमेरिका के लिए लंबे समय तक टिकाऊ नहीं रहेगा। एक साथ कई मोर्चों पर संघर्ष की स्थिति में अमेरिका की मिसाइल रक्षा क्षमताएं संघर्ष के दबाव में आ सकती हैं।