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अमेरिका बना रहा है नए सैन्य अड्डे, निशाने पर चाबहार और ग्वादर पोर्ट, ईरान के दावे से मचा हड़कंप

Middle East Tension: अमेरिका, ईरान और चीन के बीच तनाव अब बंदरगाहों तक पहुंच गया है। ईरान के शीर्ष नेता के सलाहकार अली अकबर वेलयाती ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि वह चाबहार और ग्वादर पोर्ट के आसपास....

  • By अमन उपाध्याय
Updated On: Nov 11, 2025 | 08:25 PM

ईरान ने कहा कि अमेरिका बना रहा है नए सैन्य अड्डे, फोटो (सो. सोशल मीडिया)

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US Chabahar Port: ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के सलाहकार अली अकबर वेलयाती ने दावा किया है कि अमेरिका चाबहार बंदरगाह (ईरान) और ग्वादर बंदरगाह (पाकिस्तान) के पास नए सैन्य अड्डे स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। वेलयाती के मुताबिक, यह कदम अमेरिका की उस रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत वह चीन पर नियंत्रण रखना चाहता है और एशिया के व्यापारिक एवं ऊर्जा मार्गों पर अपना प्रभुत्व बनाए रखना चाहता है।

उन्होंने कहा कि अमेरिका लगातार पाकिस्तान और भारत पर दबाव बना रहा है। वेलयाती ने खुलासा किया कि हाल के महीनों में पाकिस्तान के कई सैन्य अधिकारी अमेरिका की यात्राएं कर रहे हैं और वहां वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह गतिविधियां अमेरिकी रणनीतिक हितों से जुड़ी हैं।

अमेरिकी प्रतिबंधों से विशेष छूट

चाबहार बंदरगाह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है और 2018 में इसे अफगानिस्तान से जुड़े व्यापार और पुनर्निर्माण परियोजनाओं के लिए अमेरिकी प्रतिबंधों से विशेष छूट मिली थी। भारत इस बंदरगाह के शहीद बेहेश्ती टर्मिनल का संचालन करता है और अब तक 120 मिलियन डॉलर से अधिक निवेश कर चुका है।

भारत के लिए चाबहार बंदरगाह सिर्फ व्यापारिक नहीं, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। इससे भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक सीधी पहुंच मिलती है, और पाकिस्तान की मदद की जरूरत नहीं पड़ती। चाबहार को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट का रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी माना जाता है, जिसे चीन ऑपरेट करता है। इसलिए यह भारत के लिए एक तरह से चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ का जवाब भी माना जाता है।

प्रोजेक्ट पर चर्चा शुरू

भारत ने 2003 में इस प्रोजेक्ट पर चर्चा शुरू की थी और 2018 में ईरान के साथ समझौता कर पोर्ट के विकास कार्यों को गति दी। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत ने अब तक 3 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है। 2016 में भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत भारत ने पोर्ट विकास के लिए 1250 करोड़ रुपये का कर्ज देने का ऐलान किया था।

यह भी पढ़ें:- फिलीपींस ने ड्रैगन की ओर मोड़ा ब्रह्मोस, चीनी एयरक्राफ्ट कैरियर पर चलेगा भारतीय ब्रह्मास्त्र?

साल 2024 में भारत और ईरान ने पोर्ट मैनेजमेंट के लिए 10 साल का नया समझौता किया है। भारत इस बंदरगाह को इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) का हिस्सा बना रहा है जो रूस और यूरोप को मध्य पूर्व के रास्ते जोड़ने वाली रणनीतिक व्यापारिक परियोजना है।

Us military base near chabahar gwadar iran advisor alleges

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Published On: Nov 11, 2025 | 08:25 PM

Topics:  

  • America
  • Iran
  • World News

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