
अमेरिका ने गिराई थी शेख हसीना की सरकार, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Bangladesh News Hindi: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता से विदाई को लेकर उठे सवालों ने अब नया मोड़ ले लिया है। पूर्व मंत्री और संकट के समय सरकार के मुख्य वार्ताकार रहे मोहिबुल हसन चौधरी ने रशिया टुडे (RT) को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि यह अचानक हुई राजनीतिक उथल-पुथल नहीं थी, बल्कि इसके पीछे अमेरिका की ‘डीप स्टेट’ और पश्चिमी संगठनों की संगठित साजिश थी।
चौधरी के अनुसार, यूएसएआईडी (USAID), क्लिंटन परिवार, बाइडेन प्रशासन और अरबपति जॉर्ज सोरोस से जुड़े समूहों ने मिलकर हसीना सरकार को अस्थिर करने की योजना बनाई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि इन संगठनों ने कट्टरपंथियों और विरोधी समूहों को करोड़ों डॉलर की फंडिंग दी, जिसका उद्देश्य 2024 में हसीना शासन को उखाड़ फेंकना था।
पूर्व मंत्री ने बताया कि छात्र आंदोलन, जो शुरुआत में सरकारी नौकरी कोटे में सुधार को लेकर था असल में पहले से ही फंडेड और योजनाबद्ध था। यह कोई स्वतःस्फूर्त विरोध नहीं था। अराजकता की योजना पहले से बनाई गई थी। इस पैसे से दंगे भड़काए गए, ताकि हसीना सरकार घुटनों पर आ जाए।
उन्होंने आगे दावा किया कि इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट (IRI) और अन्य अमेरिकी गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) ने 2018 से ही हसीना सरकार के खिलाफ सूचना युद्ध और विरोध अभियानों को बढ़ावा दिया। इन संगठनों ने स्थानीय एक्टिविस्ट्स और छात्र समूहों को वित्तीय सहायता दी, जिससे सिस्टम के भीतर से विद्रोह की स्थिति तैयार की जा सके।
चौधरी ने नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस पर भी गंभीर आरोप लगाए। उनके मुताबिक, यूनुस उस समय यूरोप में थे और बाद में उन्हें बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार बना दिया गया। उन्होंने कहा कि यह कोई संयोग नहीं था। क्लिंटन परिवार और यूनुस के बीच लंबे समय से संबंध हैं। यूनुस को हसीना के बाद सत्ता परिवर्तन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए तैयार किया गया था।
पूर्व मंत्री ने यह भी कहा कि यूएसएआईडी की करोड़ों डॉलर की फंडिंग का कोई पारदर्शी हिसाब नहीं मिला, और उसका बड़ा हिस्सा “रेजीम चेंज एक्टिविटीज़” यानी सत्ता परिवर्तन की गतिविधियों में इस्तेमाल हुआ।
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चौधरी ने इस पूरे घटनाक्रम को एक पश्चिमी प्रायोजित ऑपरेशन बताया, जिसका लक्ष्य था शेख हसीना के लंबे शासन को समाप्त कर ढाका में एक अधिक आज्ञाकारी सरकार स्थापित करना। इन आरोपों पर अब तक अमेरिकी सरकार या संबंधित संगठनों की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन चौधरी के खुलासे ने बांग्लादेश की राजनीति में अंतरराष्ट्रीय दखलंदाजी की बहस को फिर से गर्मा दिया है।






