
संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेषकर हिंदुओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर गहरी चिंता जताई (सोर्स-सोशल मीडिया)
Hindu Safety International Appeal: पड़ोसी देश बांग्लादेश में जारी सांप्रदायिक हिंसा और अस्थिरता ने अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खलबली मचा दी है। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही बर्बरता पर कड़ा रुख अपनाते हुए यूनुस सरकार को सुरक्षा बढ़ाने की हिदायत दी है।
हाल के हफ्तों में छात्र नेताओं की हत्या और हिंदू समुदाय के लोगों की लिंचिंग जैसी घटनाओं ने दुनिया का ध्यान खींचा है। भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने भी साफ कर दिया है कि किसी भी लोकतांत्रिक समाज में बदला और प्रतिशोध की कोई जगह नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टेफन दुजारिक ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की खबरें बेहद चिंताजनक हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि “सभी बांग्लादेशियों को सुरक्षित महसूस करने की आवश्यकता है।”
यूएन ने स्पष्ट किया कि चाहे बांग्लादेश हो या कोई और देश जो लोग बहुसंख्यक समाज का हिस्सा नहीं हैं, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
वॉशिंगटन में भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों राजा कृष्णमूर्ति और सुहास सुब्रमण्यम ने बांग्लादेशी हिंदुओं पर हो रहे हमलों की कड़ी निंदा की है। कृष्णमूर्ति ने हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा की गई निर्मम हत्या पर गहरा दुख जताते हुए इसे ‘अस्थिरता का खतरनाक दौर’ बताया। सुहास सुब्रमण्यम ने चिंता जताई कि सरकार बदलने के बाद से मंदिरों और घरों को निशाना बनाने की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने चेतावनी दी है कि प्रतिशोध की भावना समाज में गहरी दरारें पैदा करेगी। उन्होंने कहा कि 12 फरवरी 2026 को होने वाले आम चुनावों के लिए एक भयमुक्त माहौल बनाना अनिवार्य है।
अगर नागरिक बिना डर के सार्वजनिक जीवन में भाग नहीं ले पाएंगे, तो चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठेंगे। यूएन ने यूनुस प्रशासन से शांति बनाए रखने और हिंसा रोकने की अपील की है।
यह भी पढ़ें: US H-1B & H4 वीजा नियमों में बड़ा बदलाव, अब सोशल मीडिया की होगी कड़ी जांच, देरी की चेतावनी जारी
बांग्लादेश में हिंसा का नया दौर इंकलाब मंच के युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद शुरू हुआ। इस घटना के बाद कट्टरपंथी समूहों ने अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना तेज कर दिया है।
पिछले साल अगस्त में शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद से शुरू हुआ यह सिलसिला अब और भी भयावह रूप ले चुका है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों के हनन की चिंताएं बढ़ गई हैं।






