सांकेतिक तस्वीर, (सो. सोशल मीडिया)
American Weapons Afghanistan: पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) की गतिविधियां एक बार फिर तेज हो रही हैं। पहले छिटपुट दिखाई देने वाले हमले अब संगठित और पैटर्न आधारित हिंसा में बदल चुके हैं।
खैबर पख्तूनख्वा, बाजौर, स्वात, डेरा इस्माइल खान और वाजिरिस्तान जैसे इलाकों में सुरक्षा बलों पर हमलों की संख्या अचानक बढ़ी है। इन घटनाओं ने पाकिस्तानी सुरक्षा तंत्र को चिंतित कर दिया है, क्योंकि TTP की मारक क्षमता पहले की तुलना में कहीं अधिक घातक दिखाई देने लगी है।
जांच एजेंसियों और सुरक्षा सूत्रों के मुताबिक, हाल के ऑपरेशनों के दौरान यह साफ हो गया कि आतंकियों के पास मौजूद हथियार वही हैं, जो अमेरिका और NATO ने अफगान नेशनल आर्मी को दिए थे। 2021 में अमेरिकी सैनिकों की अचानक वापसी के दौरान अफगानिस्तान में बड़ी संख्या में सैन्य हथियार, गाड़ियां और तकनीकी उपकरण वहीं छूट गए थे।
तालिबान के कब्जे के बाद ये हथियार TTP जैसे समूहों तक पहुंच गए। ये हथियार अब पाकिस्तान में हो रहे TTP हमलों का चेहरा बदल रहे हैं और सुरक्षा विश्लेषकों के लिए नई चुनौती पैदा कर रहे हैं।
बरामदगी और ऑपरेशनल रिपोर्ट्स में बताया गया कि TTP के पास जो हथियार मिले हैं, उनमें शामिल हैं-
इन हथियारों के कारण TTP की क्षमता सिर्फ संख्या में ही नहीं, बल्कि तकनीकी रूप से भी बढ़ी है।
सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि नाइट-विजन तकनीक और आधुनिक राइफलों की वजह से TTP अब रात के समय भी सटीक निशाना साधने में सक्षम हो गई है। इससे सेना और पुलिस पर घात लगाकर हमले करना उनके लिए आसान हो गया है। हालिया महीनों में रात के समय किए गए हमलों में बढ़ोतरी इसी तकनीकी बढ़त का संकेत देती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी TTP के लिए बड़ी राहत साबित हुई। उन्हें न सिर्फ सुरक्षित पनाहगाह मिली, बल्कि हथियार और रसद तक आसान पहुंच भी मिल गई। तालिबान भले ही सार्वजनिक रूप से इनकार करता है, लेकिन जमीन पर TTP को मिलने वाले समर्थन और गतिशीलता में आई तेजी से कई सवाल उठते हैं।
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अमेरिकी हथियारों से लैस TTP अब पाकिस्तान के लिए पहले से कहीं बड़ा खतरा बन गई है। संगठित रणनीति, उन्नत हथियारों और अफगान सीमा की ढीली निगरानी ने इस चुनौती को और गंभीर बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हथियारों पर नियंत्रण और सीमा सुरक्षा को मजबूत नहीं किया गया तो आने वाले महीनों में हालात और खराब हो सकते हैं।