ब्रिक्स देशों ने दिखाई दमदार एकजुटता, (डिजाइन फोटो)
न्यूयॉर्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि जब उन्होंने ब्रिक्स देशों पर 10% टैरिफ लगाने की चेतावनी दी, तो ये देश घबरा गए और अगली बैठक में लगभग कोई नहीं पहुंचा। हालांकि सच्चाई यह है कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ा और सभी 11 सदस्य देशों के नेता अगले दिन की बैठक में मौजूद रहे। 6 जुलाई की रात ट्रंप ने सोशल मीडिया पर यह धमकी दी थी, लेकिन इसके बावजूद रियो डी जनेरियो में आयोजित ब्रिक्स बैठक के दूसरे दिन सभी नेताओं ने भाग लिया।
शुक्रवार को व्हाइट हाउस में ‘जीईएनआईयूएस एक्ट’ पर हस्ताक्षर करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स संगठन पर निशाना साधा। उन्होंने ब्रिक्स को “छह देशों का एक छोटा समूह” करार दिया और कहा, “ये देश डॉलर की वैश्विक प्रभुत्व को खत्म करना चाहते थे, लेकिन मैंने साफ कर दिया कि जो भी देश ब्रिक्स में शामिल होगा, उस पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा।”
ट्रंप ने आगे दावा किया कि उनके इस ऐलान के बाद ब्रिक्स की अगली बैठक में मुश्किल से ही कोई प्रतिनिधि पहुंचा। उन्होंने कहा कि वे डर गए और बोले कि हमें इससे अलग रखो, हम टैरिफ नहीं सह सकते। हालांकि, ब्रिक्स देशों की साझा मुद्रा लाने के प्रस्ताव पर भारत पहले ही असहमति जता चुका है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि डॉलर की जगह लेने की कोई योजना नहीं है, क्योंकि यह वैश्विक आर्थिक स्थिरता के लिए जरूरी है।
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ट्रंप ने आगे कहा कि अगर ब्रिक्स वास्तव में अपनी साझा मुद्रा बनाने की कोशिश करता है, तो वह योजना ज्यादा समय तक नहीं टिकेगी। मुझे नहीं लगता कि वे ऐसा कर भी पाएंगे। अब तो वे मीटिंग करने से भी डरते हैं। 6 जुलाई को ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था, “जो भी देश ब्रिक्स की अमेरिका-विरोधी रणनीति में साथ देगा, उस पर हम 10 प्रतिशत का अतिरिक्त आयात शुल्क लगाएंगे।”
‘जीईएनआईयूएस एक्ट’ पर हस्ताक्षर करते हुए ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी डॉलर का वैश्विक रिजर्व करेंसी बना रहना बेहद अहम है। उन्होंने चेताया, “अगर हमने इसे गंवा दिया, तो यह किसी विश्व युद्ध में हारने के बराबर होगा। हम किसी को भी हमारे खिलाफ चालें चलने नहीं देंगे।”
(एजेंसी इनपुट के साथ)