ट्रंप-पुतिन की फोन पर बात, फोटो (सो. एआई डिजाइन)
Ukraine Russia War Peace Deal: वाशिंगटन और मॉस्को के बीच कूटनीतिक सक्रियता यूक्रेन संकट को सुलझाने की दिशा में एक बड़ा मोड़ आता दिख रहा है। व्हाइट हाउस ने आधिकारिक तौर पर पुष्टि की है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच फोन पर चर्चा हुई है। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने इस बातचीत की जानकारी देते हुए इसे बेहद सकारात्मक बताया है।
कूटनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि 24 घंटे के भीतर दो बार संपर्क होना इस बात का प्रबल संकेत है कि यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए पर्दे के पीछे किसी बड़े समझौते या ‘मोलभाव’ की प्रक्रिया चल रही है।
शांति समझौते पर मुहर के करीब महाशक्तियां कैरोलिन लेविट ने अपने आधिकारिक बयान में स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने राष्ट्रपति पुतिन के साथ यूक्रेन के संबंध में बातचीत पूरी कर ली है। हालांकि बातचीत का विस्तृत ब्यौरा अभी साझा नहीं किया गया है, लेकिन बैक-टू-बैक हुई इन चर्चाओं और व्हाइट हाउस के सकारात्मक रुख से यह संकेत मिलता है कि वाशिंगटन और मॉस्को किसी ठोस समाधान के बेहद करीब पहुंच सकते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी इस मुद्दे पर आशावादी रुख अपनाते हुए कहा है कि इस शांति समझौते पर लगभग 95% काम पूरा हो चुका है और जल्द ही इस पर अंतिम मुहर लग सकती है।
जेलेंस्की की सुरक्षा गारंटी और अनसुलझे मुद्दे इस कूटनीतिक हलचल के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की मांगें भी सामने आई हैं। हाल ही में फ्लोरिडा में ट्रंप के साथ हुई मुलाकात के दौरान जेलेंस्की ने संशोधित पीस डील पर चर्चा की।
जेलेंस्की ने कहा कि जहां अमेरिका ने यूक्रेन को 15 वर्षों के लिए सुरक्षा गारंटी की पेशकश की है वहीं यूक्रेन भविष्य की सुरक्षा के लिए कम से कम 50 साल की गारंटी चाहता है। इसके अलावा, क्षेत्रीय विवाद और रूस के कब्जे वाले जापोरिजिया परमाणु संयंत्र जैसे मुद्दे अभी भी अनसुलझे बने हुए हैं, जिन पर बातचीत की जरूरत है।
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रूस का रुख और भारत पर प्रभाव दिलचस्प बात यह है कि रूस, जिसने पहले शांति योजना के कुछ हिस्सों को खारिज कर दिया था, अब समझौते की ओर झुकता दिख रहा है। रूसी समाचार एजेंसी ‘तास’ के अनुसार, क्रेमलिन ने ट्रंप के इस आकलन से सहमति जताई है कि शांति अब और भी करीब है। यदि यह कूटनीतिक मोलभाव सफल रहता है और युद्ध समाप्त होता है, तो यह न केवल वैश्विक शांति के लिए बड़ी बात होगी, बल्कि भारत समेत दुनिया के कई अन्य देशों के लिए भी बड़ी खुशखबरी लेकर आएगा।