तस्वीर में प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने रूस के लिए मंगलवार यानी आज सुबह रवाना हो गए। पूर्व संध्या पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और चीन सीमा यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रॉल (LAC) पर अपने सैनिकों को पीछे हटाने और फिर से पेट्रोलिंग शुरू करने के लिए एक नए समझौता पर पहुंचा है।
भारत और चीन के बीच हुए इस समझौते को दोनों देशों के बीच संबंध सुधरने की आशा से देखा जा रहा है। वहीं विदेश के जानकारों का मानना है सिर्फ इतने से इनके बीच तनाव नहीं खत्म होने वालें हैं बल्कि कई और महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे।
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भारत स्थित विदेश नीति के जानकार ब्रह्म चेलानी लिखते हैं, भारत-चीन सैन्य गतिरोध को समाप्त करने के लिए, तीन कदम उठाने की आवश्यकता है। पीछे हटना, तनाव कम करना और प्रतिद्वंद्वी बलों को पीछे हटाना। नई गश्त व्यवस्था (पेट्रोलिंग समझौता) केवल पहले कदम के बारे में है, पीछे हटना।
विदेश नीति के जानकार चेलानी सोशल मीडिया साइट एक्स पर आगे लिखते हैं, दूसरा और तीसरा कदम मुश्किल होगा क्योंकि चीन ने भारत की सीमा पर स्थायी रूप से युद्ध से संबंधित नए बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है। जैसे कि युद्ध की तैयारी कर रहा हो।
To end the India-China military standoff, three steps are needed: disengagement, de-escalation and de-induction of rival forces. The new patrolling arrangement is only about the first step: disengagement. The second and third steps would be difficult as China has built permanent… — Brahma Chellaney (@Chellaney) October 21, 2024
भारत चीन मामलों के जानकार और कलिंगा इंस्टिट्यूट में इंडो-पैसिफिक स्टडीज के फाउंडर और चेयरमैन प्रोफेसर चिंतामणि महापात्र कहते हैं, यह एक अच्छी शुरुआत है क्योंकि पिछले कुछ महीनों में कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर जो वार्ताएं हुई हैं। उसी का ही नतीजा है कि तनाव कम करने पर एक समझौते की बात सामने आई है। लेकिन सिर्फ एक समझौते से दोनों देशों के बीच सारे तनाव दूर हो जाएंगे ऐसा भी नहीं है। मगर रिश्तों के सामान्य होने की प्रक्रिया में यह एक पहला कदम माना जा सकता है।
तक्षशिला इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर नितिन पाई ने एक्स पर लिखा, भारत चीन सीमा पर शांति लाने के लिए कुछ समझौता हुआ है। लेकिन अभी से जश्न न मनाएं। क्योंकि बीजिंग की नीतियों में ऐसा कुछ नहीं दिखता जिससे पता चले कि उसके आक्रामक रुख में बदलाव आया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को जो बयान दिया उसमें सिर्फ इतना ही कहा है कि डिसएंगेजमेंट पर समझौता हुआ है।
बीते सोमवार को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पिछले कई हफ्तों से भारत और चीन के बीच राजनयिक और सैन्य स्तर पर हुई वार्ता हुई। जिसका नतीजा है कि LAC पर सैनिकों की पेट्रोलिंग को लेकर भारत और चीन के बीच ‘डिसएंगेजमेंट’ पर समझौता हुआ।
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने भी निजी समाचार चैनल एनडीटीवी के कार्यक्रम में सोमवार को कहा कि साल 2020 में भारत के सैनिक चीन से लगी सरहद पर जहां तक पट्रोलिंग करते थे। वहां फिर से कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच वार्ता पूरी हो चुकी है। आपसी सहमति पर दोनों पक्ष आज ही पहुंचे हैं। और आने वाले समय में और जानकारियां सामने आएंगी।
हालांकि उन्होंने कहा कि एलएसी पर 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल होगी। यह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है लेकिन इसके पूरे असर का आकलन करना जल्दबाजी होगी। हमें इंतजार करना होगा। बता दें, यह समझौता देपसांग और डेमचोक इलाकों में पेट्रोलिंग से संबंधित है।
विदेश सचिव ने कहा कि साल 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की कार्रवाई के बाद यह विवाद पैदा हुआ था। अब इस विवाद का समाधान हो रहा है। भारत चीन के साथ सैन्य स्तर पर और विभिन्न स्तरों पर सैन्य कमांडरों की बैठकों के माध्यम से चर्चा कर रहा है। इन बैठकों के बाद एलएसी के विभिन्न स्थानों पर गतिरोध का समाधान हुआ है। कुछ स्थान ऐसे थे, जहां विवाद अभी खत्म नहीं हो पाया है।
आपको बता दें कि पूर्वी लद्दाख सीमा पर 2020 में हुई झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था। इस झड़प में भारतीय सेना के 20 सैनिक भी शहीद हो गए थे और चीन के भी कई जवान भी मारे गए थे। भारत और चीन LAC पर यह समझौता ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले हुआ है। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग हिस्सा लेने वाले हैं।