पाकिस्तानी महिलाओं की आर्थिक स्थिति बहुत खराब (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
Salary Gap In Pakistan: पाकिस्तान में आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर महिलाएं औसतन अपने पुरुष सहकर्मियों से 34 प्रतिशत कम कमाती हैं। यह वेतन अंतर विश्व औसतीय स्तर पर एक गहरी खाई है।
पाकिस्तान की यह स्थिति भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों से भी बुरी है। हालांकि अब बहुत से देश इस आर्थिक अंतर को पाटने की दिशा में प्रयासरत हैं।
लेकिन पाकिस्तान आज भी अपनी स्थिति बदलने के लिए जागरुक नहीं है। सामाजिक परंपराएं, दकियानूसी विचारधारा और आर्थिक ढांचे की कमजोरी ने आज तक इस मुस्लिम देश में महिलाओं की स्थिति को बदलने नहीं दिया है।
वर्तमान समय में भी ज्यादातर पाकिस्तानी महिलाएं खेतों में मजदूरी और घरों में कामकाज ही कर रही हैं। इन क्षेत्रों में उन्हें स्वाभाविक ही कम तनख्वाह मिलती है। देश में न तो उन्हें कानूनी सुरक्षा मिलती है और न ही पक्के रोजगार और लाभ की सुविधा।
आईएलओ की रिपोर्ट बताती है कि, औपचारिक क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्त और उद्योगों में भी महिलाएं पुरुषों से कम ही वेतन पाती हैं। ऊंचे पदों तक पहुंचने में तो अंतर और ज्यादा बढ़ जाता है। इसे ही “ग्लास सीलिंग” कहा जाता है। इसका असर पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है, यही वजह है कि देश की आधी आबादी की क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता।
इस असमानता की जड़ें केवल अर्थव्यवस्था में नहीं, बल्कि गहरी सांस्कृतिक और सामाजिक सोच में भी छिपी हैं। समाज में अब भी यह मान्यता है कि घर और बच्चों की जिम्मेदारी महिलाओं की है, जिसकी वजह से वह खुलकर नौकरी नहीं कर पातीं। ग्रामीण और परंपरागत इलाकों में सुरक्षा और आवाजाही की दिक्कतें भी उनके रोजगार के रास्ते रोकती हैं।
पाकिस्तान की शिक्षा व्यवस्था भी महिलाओं को आधुनिक और बेहतर तनख्वाह वाली नौकरियों के लिए तैयार नहीं कर पाती। इसके अलावा, सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में भर्ती और प्रमोशन के दौरान लोगों की विपक्षीय मानसिकता महिलाओं के खिलाफ ही काम करते हैं।
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आईएलओ की रिपोर्ट बताती है कि, पाकिस्तान ने पिछले कुछ वर्षों में कुछ लैंगिक-संवेदनशील नीतियां लागू की हैं, जिनमें मातृत्व अवकाश प्रावधान, उत्पीड़न-विरोधी कानून और सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार में महिलाओं के लिए कोटा शामिल हैं। हालांकि इनका सही से पालन नहीं होता। ऊपर से अधिकांश महिलाएं असंगठित क्षेत्र में काम करती हैं, जहां ये नियम लागू ही नहीं हो पाते।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, दक्षिण एशिया के देशों में लिंग असमानता एक आम समस्या है, लेकिन पाकिस्तान की स्थिति सबसे खराब है। यह देश वैश्विक लैंगिक समानता की सूचि में लगातार निचले पायदान पर है।
विश्व आर्थिक मंच की 2025 की वैश्विक लैंगिक अंतर रिपोर्ट में भी पाकिस्तान को 156 देशों में 151वां स्थान मिला है। यानी महिलाओं की आर्थिक भागीदारी और अवसरों के मामले में यह लगभग सबसे नीचे है।
(एजेंसी इनपुट)