थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैटोंगटार्न शिनावात्रा की कंबोडिया के पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन से फोन पर हुई गोपनीय बातचीत (फोटो- सोशल मीडिया)
बैंकॉक: थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैटोंगटार्न शिनावात्रा की कंबोडिया के पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन से फोन पर हुई गोपनीय बातचीत की कॉल रिकॉर्डिंग लीक होने के बाद देश की राजनीति में उबाल आ गया है। इस कॉल की रिकॉर्डिंग के सार्वजनिक होते ही उनकी सहयोगी पार्टी भूमजयथाई सरकार से अलग हो गई और विपक्ष ने नए चुनाव की मांग शुरू कर दी है। लीक कॉल में पैटोंगटार्न ने सीमा विवाद के बीच सेना अधिकारी को ‘विरोधी’ कहा, जिससे देश के अंदर राष्ट्रवादी गुटों में इसके प्रति भयंकर गुस्सा भड़क गया है।
हुन सेन ने यह कॉल रिकॉर्डिंग अपने फेसबुक पर पोस्ट कर दी, जिसमें पैटोंगटार्न उन्हें ‘अंकल’ कहकर संबोधित करती हैं और सीमा प्रतिबंधों पर नरम रुख अपनाती नजर आती हैं। इस पर दक्षिणपंथी गुटों ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री थाईलैंड के राष्ट्रीय हितों से समझौता कर रही हैं। इस विवाद ने पहले से ही डगमगाई थाईलैंड सरकार को अब और संकट में डाल दिया है।
गठबंधन टूटा, अब बहुमत पर संकट
मजयथाई पार्टी के समर्थन वापस लेने के बाद अब पैटोंगटार्न की ‘फ्यू थाई पार्टी’ सिर्फ 255 सांसदों के समर्थन में रह गई है, जबकि बहुमत के लिए 251 की जरूरत होती है। विपक्ष के नेता नत्ताफोंग रूअंगपन्यावुत ने नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जनता का सरकार से भरोसा उठ गया है।
इस्तीफे की मांग और तख्तापलट की आशंका
पैटोंगटार्न ने सफाई दी कि वह हुन सेन से अब कोई निजी बातचीत नहीं करेंगी और उनका मकसद सिर्फ शांति था। हालांकि, संसद के बाहर प्रदर्शन तेज हो गया है और इस्तीफे की मांग जोर पकड़ रही है। राजनीतिक विश्लेषकों ने आशंका जताई है कि सेना फिर से तख्तापलट की राह चुन सकती है, जैसा उनके पिता थाकसिन और चाची यिंगलक के साथ हो चुका है।
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विपक्ष ने की नए सिरे से चुनाव की मांग
विपक्षी नेता नत्ताफोंग रूअंगपन्यावुत ने गुरुवार को कहा कि संसद भंग कर देनी चाहिए और नए चुनाव कराए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि फोन कॉल लीक ने जनता का सरकार पर से पूरा भरोसा खत्म कर दिया। वहीं इसको लेकर अब कई लोगों ने चिंता जताई कि पैटोंगटार्न द्वारा स्थानीय सेना कमांडर पर की गई टिप्पणी कहीं फिर से सैन्य तख्तापलट की वजह न बन जाए। उनके पिता थाकसिन शिनावात्रा को 2006 में सेना ने तख्तापलट करके सत्ता से हटा दिया था। उनकी बहन यिंगलक शिनावात्रा 2011 में प्रधानमंत्री बनी थीं और उन्हें भी 2014 में सेना ने सत्ता से हटा दिया था।