थाईलैंड-कंबोडिया सीजफायर फेल, फोटो (सो. एआई डिजाइन)
Thailand Cambodia Drone Attack News In Hindi: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच घोषित सीजफायर की स्याही अभी पूरी तरह सूखी भी नहीं थी कि सीमा पर हालात फिर से बिगड़ गए। शनिवार को दोनों देशों ने तत्काल युद्धविराम पर सहमति जताकर दुनिया को यह संकेत दिया था कि दशकों पुरानी दुश्मनी को शांत करने की दिशा में एक कदम बढ़ाया गया है। लेकिन रविवार की रात हुए घटनाक्रम ने इस उम्मीद को झटका दे दिया।
थाईलैंड की रॉयल आर्मी ने दावा किया है कि सीजफायर लागू होने के ठीक एक दिन बाद कंबोडिया की ओर से बड़े पैमाने पर हवाई गतिविधि देखी गई। सेना के अनुसार, रविवार रात थाई हवाई क्षेत्र में 250 से अधिक यूएवी और ड्रोन घुसपैठ करते पाए गए। यह संख्या इतनी बड़ी थी कि इसे महज तकनीकी चूक या दुर्घटना मानने से इनकार किया जा रहा है।
थाई सेना के प्रवक्ता विनथाई सुवारी ने इस कार्रवाई को ‘उकसावे वाली और गंभीर’ बताया। उन्होंने कहा कि यह कदम दोनों देशों के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक और संयुक्त बयान का खुला उल्लंघन है। सुवारी के मुताबिक, रडार पर एक साथ इतने ड्रोन दिखना असामान्य है और यह किसी सुनियोजित रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
इस घटनाक्रम ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका को भी सवालों के घेरे में ला दिया है। सीजफायर की घोषणा के बाद ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से इसका श्रेय लेते हुए इसे अपनी कूटनीतिक सफलता बताया था। हालांकि, मौजूदा हालात यह संकेत देते हैं कि यह शांति समझौता जमीन पर कभी पूरी तरह लागू ही नहीं हो सका। विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप का दावा कागजी साबित हुआ, क्योंकि वास्तविक नियंत्रण और भरोसे की कमी बनी हुई है।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ड्रोन की यह गतिविधि जासूसी और निगरानी से जुड़ी हो सकती है। सीजफायर के बावजूद दोनों सेनाएं एक-दूसरे की नई तैनाती और रणनीतिक ठिकानों की जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही हैं। हालांकि, एक साथ 250 ड्रोन भेजना सिर्फ निगरानी नहीं बल्कि शक्ति प्रदर्शन का संकेत भी माना जा रहा है।
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इस घटना के बाद क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया में पहले से ही कई सीमा विवाद और राजनीतिक तनाव मौजूद हैं। थाईलैंड-कंबोडिया के बीच यह ताजा टकराव दिखाता है कि केवल फोटो-ऑप और कूटनीतिक बयानबाजी से लंबे समय से चले आ रहे विवादों का समाधान संभव नहीं है। फिलहाल दोनों देशों की ओर से आधिकारिक बातचीत के संकेत नहीं मिले हैं लेकिन अगर हालात पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो यह तनाव एक बार फिर खुले संघर्ष का रूप ले सकता है।