हाफिज सईद, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान के मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय पर किए गए हमले को करीब 1 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक आतंकी सरगना हाफिज सईद का कोई सुराग नहीं मिला है। न तो उसने कोई सार्वजनिक बयान दिया है और न ही वह अपने मारे गए आतंकियों के जनाजे में नजर आया। भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि हाफिज सईद कहीं छिपकर बैठा हुआ है।
वहीं, मारे गए आतंकियों की अंतिम विदाई में खुद पाकिस्तान आर्मी की फोर्थ कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फैयाज हुसैन शाह शामिल हुए। एक शीर्ष सैन्य अधिकारी की मौजूदगी से साफ है कि भारतीय सेना के इस हमले ने पाकिस्तान को गहरी चोट पहुंचाई है। भारत ने महज 50 सेकंड के भीतर पाकिस्तान के मुरीदके इलाके में चार सटीक हवाई हमले किए। ये हमले उन ठिकानों पर किए गए जहां आतंकियों की मौजूदगी की पुख्ता जानकारी थी। इस कार्रवाई में लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय ‘मरकज तैयबा’ और उसकी प्रशासनिक इमारत पूरी तरह नष्ट हो गई।
मुरीदके स्थित यह मरकज तैयबा लंबे समय से आतंकवाद की नर्सरी माना जाता है। 2008 के मुंबई हमले में शामिल आतंकी, जैसे अजमल कसाब और डेविड हेडली, यहीं से प्रशिक्षण लेकर गए थे। भारतीय सेना की इस कार्रवाई के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई और लोग जान बचाने के लिए भागने लगे।
भारत द्वारा की गई कार्रवाई के बाद जो तस्वीरें मुरीदके से सामने आईं, उन्होंने एक बार फिर पाकिस्तान के झूठ को उजागर कर दिया। जिस मरकज से हाफिज सईद आतंकी हमलों की साजिशें रचता था, उसे चारों ओर से लोहे की तारों से घेर कर सुरक्षित किया गया था। इस ठिकाने की निगरानी सिर्फ आतंकवादी ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान की पुलिस और रेंजरों के जवान भी कर रहे थे।
लश्कर-ए-तैयबा को पहले ही अंदेशा था कि भारत कोई कार्रवाई कर सकता है, इसलिए तैयबा के मरकज की सुरक्षा आतंकियों ने खुद संभाल रखी थी। पाकिस्तान में आतंकवादियों को जिस तरह शरण और संरक्षण मिलता है, यहां तक कि उन्हें पुलिस की सुरक्षा भी दी जाती है, यह अब कोई छुपी बात नहीं है पूरी दुनिया इस सच्चाई से वाकिफ है।
मुरीदके लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय है। जब इस आतंकी संगठन पर प्रतिबंध लगाया गया, तो इसके सरगना हाफिज सईद ने “जमात-उद-दावा” नाम से एक नया संगठन खड़ा किया। यह संगठन समाजसेवा की आड़ में आतंकवाद की फंडिंग करता रहा और आतंकियों को प्रशिक्षण देता रहा। इसका नेटवर्क इतना फैला हुआ है कि पूरे पाकिस्तान में इसके लगभग 2500 मदरसे और दफ्तर संचालित हैं। वर्ष 2008 में पाकिस्तान सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके अलावा, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला। इसके बावजूद, यह संगठन अलग-अलग नामों से आतंकी गतिविधियों में संलिप्त रहा है।