सैन्य गतिविधियां, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: चीन और ताइवान के बीच एक बार फिर तनाव गहरा गया है। चीन द्वारा ताइवान के निकट ‘लाइव फायर’ सैन्य अभ्यास की घोषणा के बाद ताइवान ने अपनी सेना को तैनात कर दिया है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने इन युद्धाभ्यासों को ‘खतरनाक’ बताते हुए कड़ी आलोचना की है।
वहीं, चीन ने ताइवान के चारों ओर अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाते हुए 32 लड़ाकू विमान तैनात किए हैं। इसके अलावा, उसने द्वीप के दक्षिण में लगभग 74 किलोमीटर की दूरी पर ‘लाइव फायर’ सैन्य अभ्यास भी शुरू किया है। इस स्थिति को देखते हुए ताइवान की सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने अपनी नौसेना, वायु सेना और थल सेना को सतर्क रहने, निगरानी बढ़ाने और किसी भी संभावित स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है।
चीन लोकतांत्रिक रूप से शासित ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान इस दावे को पूरी तरह अस्वीकार करता रहा है। ताइवान का कहना है कि उसके भविष्य का निर्णय केवल वहां के लोगों को करने का अधिकार है और बीजिंग को इस फैसले का सम्मान करना चाहिए।
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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नए साल के संबोधन में ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करने वालों को कड़ी चेतावनी दी थी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि ताइवान का चीन के साथ पुनर्मिलन को कोई रोक नहीं सकता। ताइवान के अधिकारियों ने इस बयान को द्वीप पर चीन की सैन्य उपस्थिति को सामान्य बनाने की रणनीति करार दिया।
चीन और ताइवान के बीच लंबे समय से चला आ रहा तनाव हाल के वर्षों में और गहरा गया है, विशेष रूप से मई 2024 में लाई चिंग-ते के ताइवान के राष्ट्रपति बनने के बाद. चीन उन्हें एक ‘अलगाववादी’ नेता मानता है, जो ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं.
चीन पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह ताइवान को अपने नियंत्रण में लेने के लिए सैन्य कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगा. लाई चिंग-ते के सत्ता में आने के बाद से, चीन तीन बार सैन्य अभ्यास कर चुका है, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है.