ट्रंप के सीजफायर को लेकर दिए गए मध्यस्थता वाले बयान पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर का रुख
वाशिंगटन डीसी/नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप के सीजफायर को लेकर दिए गए ‘मध्यस्थता’ वाले बयान पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अब भारत का रुख बेहद साफ अंदाज में दुनिया के सामने रखा है। उन्होंने कहा कि भारत की नीति संवाद और पारदर्शिता की रही है, लेकिन इसे कभी मध्यस्थता समझने जैसी भूल नहीं करनी चाहिए। थरूर ने दो टूक कहा कि अगर कोई देश सिर्फ बात करता है, तो उसे मध्यस्थता नहीं कहा जा सकता। थरूर इस समय अंतरराष्ट्रीय मिशन पर भारत की कूटनीति और पाकिस्तान की करतूत को दुनियां के सामने बेबाकी से रख रहे हैं।
शशि थरूर उन सात संसदीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक का नेतृत्व कर रहे हैं, जिन्हें भारत की ओर से विदेशी धरती पर देश की बात रखने के लिए भेजा गया है। थरूर की टीम अमेरिका, पनामा, गयाना, ब्राजील और कोलंबिया का दौरा करेगी। इस यात्रा का मकसद है पाकिस्तान की नीतियों को दुनिया के सामने बेनकाब करना और भारत की सशक्त विदेश नीति को वैश्विक मंच पर मजबूती से रखना। थरूर ने साफ किया कि विदेश में वे देश का प्रतिनिधित्व करेंगे, न कि किसी पार्टी का।
भारत की नीति संवाद की न कि मध्यस्थता
डोनाल्ड ट्रंप के सीजफायर और मध्यस्थता को लेकर दिए गए बयान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बात उठी है। इस पर कांग्रेस सांसद और पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने इसे बेहद सधे और स्पष्ट अंदाज में खारिज किया। उन्होंने कहा कि भारत ने कभी औपचारिक रूप से किसी मध्यस्थता की प्रक्रिया को शुरू नहीं किया और न ही उसे स्वीकार किया है। थरूर ने उदाहरण देते हुए समझाया कि किसी देश का भारत से संपर्क करना और भारत का अपने कदमों की जानकारी देना, केवल संवाद है, न कि मध्यस्थता। थरूर ने यह भी कहा कि भारत की विदेश नीति की सबसे बड़ी ताकत उसकी पारदर्शिता है। जब किसी विदेशी मंत्री ने भारत से संपर्क किया है, तो सरकार के प्रतिनिधियों ने उसे सार्वजनिक रूप से साझा किया है। ये सभी बातचीत राष्ट्रहित में होती हैं, न कि किसी तीसरे पक्ष की भूमिका तय करने के लिए।
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विदेश दौरे पर पाकिस्तान लपेटे में लिया
शशि थरूर की अगुवाई वाला प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, पनामा, गयाना, ब्राजील और कोलंबिया जैसे देशों की यात्रा के दौरान यह टीम पाकिस्तान के काले कारनामों को उजागर कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस समय जब दुनिया भारत की ओर देख रही है, हमें एकजुट रुख के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने बताया कि विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग का मकसद भी यही था कि सभी सांसद एक साझा स्वर में भारत की बात रखें।